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Tuesday, October 2, 2018

मगध का उत्कर्ष




मगध का उत्कर्ष-

मगध में निम्नलिखित पांच राजवंशों का वर्णन प्रमुख रूप से आता है।

  1. वृहद्रथ वंश
  2. हर्यक वंश
  3. शिशुनाग वंश
  4. नंद वंश
  5. मौर्य वंश



बृहद्रथ वंश-

इस वंश का वर्णन पुराणों एवं महाभारत मिलता है।

हर्यक वंश-

इस वंश के प्रमुख राजा इस प्रकार हैं-

  1. बिम्बसार
  2. अजातशत्रु
  3. उदायिन( उदयभद्र)
  4. अनिरुद्ध
  5. मुंडक
  6. नागदशक या दर्शक


शिशुनाग वंश - राजा निम्न प्रकार है


  1. शिशुनाग
  2. कालाशोक या काकवर्ण


नंद वंश-

नंद वंश के राजा निम्न प्रकार हैं

  1. महानंदिन
  2. महापद्मनन्द
  3. घनानंद


मौर्य वंश

इस वंश के राजा निम्न प्रकार है

  1. चंद्रगुप्त मौर्य
  2. बिंदुसार
  3. अशोक


आखिर मगध ही साम्राज्य क्यों बना-

16 महाजनपदों में केवल मगध ही उभर कर सामने आया और एक महान साम्राज्य बना जिसके कुछ प्रमुख कारण निम्नवत है-

आर्थिक कारण-


  • गंगा नदी घाटी के मध्य में स्थित होने के कारण यह महाजनपद कृषि क्षेत्र की दृष्टि से अत्यंत अनुकूल परिस्थितियों में था। यहां की दोमट मिट्टी अत्यंत उपजाऊ थी तथा बहु किस्म की फसलें उत्पादित की जाती थी।
  • धान की रोपनी पद्धति से पैदावार  प्रारंभ हुई।
  • यहां से कृषि पंचांग मिला है।
  • लोहे का बहुत बड़ी मात्रा में कृषि में प्रयोग किया गया।
  • अधिक कृषि उत्पादन से राज्य के आय में वृद्धि हुई तथा प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत हुई।
  • भोजन आपूर्ति में सुनिश्चितता आयी , जिससे विशेषज्ञों के वर्ग का विकास हुआ तथा विविध प्रकार के भाषाओं का विकास हुआ।
  • बढ़ती हुई जनसंख्या से सैन्य आधार को मजबूती मिली।
  • यहां पर उपस्थित लोहे और तांबे की खाने अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रखती हैं क्योंकि इससे मगध में हथियार बनाने के मामले में  स्वनिर्भरता आई।
  • मगध राज्य का बहुत बड़ा हिस्सा जंगल था जिससे यहां पर हाथी तथा लकड़ियों की उपलब्धता थी।
  • मुद्रा का प्रचलन- आहत सिक्कों का प्रचलन हुआ जिससे व्यापारिक श्रेणी का निर्माण हुआ।


भौगोलिक कारण-


  • मगध की राजधानी राजगृह या गिरिव्रज पांच पहाड़ियों से गिरी थी तथा पाटलिपुत्र भी एक नदी दुर्ग था अतः दोनों राजधानियां ही सुदृढ़ अवस्था में थी।
  • नदी जलमार्गों पर अधिपत्य करके यातायात आंतरिक व्यापार व सैन्य संचालन में उपयोग किया गया।


राजनीतिक कारण-


  1. मगध को लगातार योग एवं महत्वकांशी शासक मिलते गए।
  2. मगध शासकों ने विभिन्न प्रकार की कूटनीति का प्रयोग किया जैसे वैवाहिक नीति, कूटनीतिक नीति, मित्रवत नीति , युद्ध नीति तथा फूटनीति।
  3. मगध साम्राज्य में कूटनीतिज्ञों की भी उपलब्धता बनी रही जैसे - सुनिधि , दीर्घचारण , वज्जसार तथा चाणक्य।


सांस्कृतिक कारण-


  • मगध राज्य पूर्वी क्षेत्र में पड़ने के कारण इसका आर्यकरण बहुत बाद मे हुआ जिससे वैदिक मान्यता तो पूर्ण रूप से विकसित थी किंतु पाखंड नहीं पनप पाया था जिसका श्रेष्ठतम्  उदाहरण चाणक्य नीति में देखने को मिलता है।


आर्यकरण-

वैदिक मान्यताओं वेदों को मानने वाले लोग  कहलाते थे तथा उनकी व्यवस्था को आर्यकरण कहा। गया वेदों में वर्ण व्यवस्था थी। जाति व्यवस्था नहीं अर्थात कर्म प्रधानता थी पाखंड की कोई जगह नहीं।



बृहद्रथ वंश-


  • इस वंश का वर्णन पुराण महाभारत में आता है
  • मगध का प्रथम शासक बृहद्रथ था।


हर्यक वंश पितृ हंता वंश-

 बिंबसार

हर्यक वंश का संस्थापक था इसके  अन्य नाम हैं क्षेत्रोंजस
मत्स्यपुराण व  श्रेणिक जैन साहित्य के अनुसार इसके अधिकार में 80000 गांव थे
इसमें तीन नीति से साम्राज्य का विस्तार किया।
मित्रवत नीति -अवंति नरेश चंद प्रद्योत की पीलिया रोग को दूर करने के लिए बिम्बसार ने अपने राजवैद्य जीवक को भेजा।
गंधार नरेश पुष्करसारिन  के दरबार में एक दूत भेजा।
वैवाहिक नीति - बिम्बसार की 500 रानियां थी परंतु 3 को प्रमाणिकता दी गई है।
महाकौशला से विवाह कौशल (नरेश प्रसेनजित की बहन)
अवध नरेश चेटक की पुत्री चेल्लाना से विवाह
मद्र राजकुमारी क्षेमा से विवाह

युद्ध नीति
अंग पर विजय
बिम्बसार केदो सलाहकार प्रमुख थे सुनीधि और दीर्घचारक।

अजातशत्रु-


  • अजातशत्रु ने अपने पिता बिंबिसार की हत्या करके मगध के साम्राज्य पर बैठा।
  • इसे कुणिक उपनाम से भी जाना जाता है।
  • इसके गद्दी में बैठने के 8 वें वर्ष महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण (मृत्यु ) प्राप्त हुई इसलिए राजगृह की सतकरणी गुफा में अजातशत्रु के संरक्षण में महाकश्यप की अध्यक्षता में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ।
  • जलमार्ग के महत्व को समझकर नदी दुर्ग की संकल्पना के रूप में पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाने का स्वप्न अजातशत्रु का ही था किंतु है इसे पूरा नहीं कर सका।
  • अजातशत्रु ने अवंती महाजनपद के डर से राजगृह मे दुर्गीकरण का निर्माण किया।
  • अजातशत्रु का सलाहकार वष्सकार था।
  • अजातशत्रु प्रसनजीत के मध्य युद्ध में आजाद शत्रु की विजय हुई तथा काशी पुन: मगध का हिस्सा बना लिया गया प्रसेनजित की पुत्री वाजिरा का विवाह अजातशत्रु से हुआ।
  • जातशत्रु का वज्जि संघ के मध्य युद्ध-
  • अजातशत्रु के सलाहकार वषट्कार ने वज्जि के आठों राज्य संघों में फूट डलवा दी।
  • इस युद्ध में रथमूसल (आधुनिक तोप की तरह) और महाशिलाकंटक (बहुत बड़े पत्थर प्रक्षेपण) हथियारों का प्रयोग किया गया।
  • इस युद्ध के समय आजीवक संप्रदाय के संस्थापक मक्खलपुत्र गाेषाल की मृत्यु हो गई।
  • वज्जि संघ का मगध में विलय हो गया।
  • कौशल का विलय-
  • प्रसनजीत के पुत्र विदब्भू की मृत्यु के बाद कौशल मगध का हिस्सा बन गया।


उदायिन-


  • उदायिन ने अपने पिता अजातशत्रु की हत्या करके मगध की गद्दी में बैठा।
  • उदायिन ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र को बनाया
  • उदायिन जैन एवं बौद्ध दोनों धर्मों का सम्मान करता था।


दर्शक या नागदशक-

इसकी हत्या बनारस के राज्यपाल शिशुनाग ने की तथा शिशुनाग वंश की स्थापना की।


शिशुनाग वंश-

शिशुनाग-


  • मगध साम्राज्य में अवंती और वत्स का विलय शिशुनाग ने किया।
  • इसने पाटलिपुत्र के अतिरिक्त वैशाली को भी अपनी राजधानी बनाया था कि वज्जि संघ पर नियंत्रण रखा जा सके।


कालाशोक-


  • कालाशोक को दिव्यावदान जैन ग्रंथ में काकवर्ण भी कहा गया है।
  • वैशाली से पुणे पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया
  • परिनिर्वाण के सौ वर्ष पूरे होने पर अपने संरक्षण में सर्वाकमीर की अध्यक्षता में बौद्धों की द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन वैशाली में करवाया।


नंद वंश-

महानंदिम -


  • महानंदीम ने कालाशोक की हत्या करके नंद वंश की स्थापना की।
  • महानंदिन कालाशोक की दासी का पुत्र था।


महापद्मनंद-


  • महापद्मनंद के कुछ उपनाम निम्नवत है-


  1. सर्वक्षत्रोसंहारक
  2. भार्गव
  3. अपरो परशुराम
  4. एकराट/एकक्षत्र/ सार्वभौम


  • जन्म से ब्राह्मण था किंतु उसने जैन धर्म को अपनाया।
  • कलिंग का खारवेल अभिलेख में इसका वर्णन है जिसमें लिखा है कि उसने कलिंग पर हमला किया और कलिंग विजय की और वहां एक तमसुली नहर का निर्माण कराया। जो कि नहरों का प्रथम अभिलेखीय साक्ष्य है।
  • कलिंग विजय के दौरान जिनसेन की मूर्ति कलिंग से पाटलिपुत्र ले आया।
  • पाणिनि पाणिनि अष्टाध्यायी के रचयिता थे जोकि महापद्मनंद के समकालीन थे।


घनानंद


  • यह नंद वंश का अंतिम शासक था
  • घनानंद अत्यंत क्रूर शासक था जिसने जनता पर नए नए कर लगा दिए जिस से जनता त्रस्त थी जिसका परिणाम विद्रोह के रूप में चाणक्य और चंद्रगुप्त द्वारा मौर्य साम्राज्य की स्थापना थी।
  • सिकंदर का आक्रमण जब भारत में हुआ मगध का शासक घनानंद ही था।
  • यूनानी ग्रंथों में इसे अग्रमीज कहा गया है।
  • चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य ने घनानंद को हराकर इसकी हत्या करके मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
  • शकटाल और स्थूलभद्र नामक अमात्य घनानंद के दरबार में थे
  • इस के दरबार में कुछ विद्वान जैसे कात्यायन, वर्ष, उपवर्ण, वरुरूचि थे।
  • कात्यायन की पुस्तक का नाम वर्तिका है।

    

Thursday, September 27, 2018

भारत परिचय-1


भारत परिचय-1 


  • भारत देश 29 राज्य तथा 7 केंद्र शासित प्रदेशों का संघ है।
  • भारत का सबसे उत्तरी बिंदु जम्मू कश्मीर का इंदिरा कॉल 37°6' है।
  • भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु ग्रेट निकोबार में स्थित इंदिरा पॉइंट 6°4' है जबकि मुख्य भारतीय स्थल का सबसे दक्षिणी बिंदु कन्याकुमारी 8°4' है।
  • भारत का सबसे पूर्वी बिंदु अरुणाचल प्रदेश में स्थित वालांगू 97°25' है।
  • भारत का सबसे पश्चिमी बिंदु गुजरात में स्थित सरक्रीक 68°7' है।
  • भारत के दक्षिण - पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण  - पूरब में बंगाल की खाड़ी है।
  • भारत के दक्षिण में हिंद महासागर है।


भारत के पड़ोसी देश-

पाकिस्तान-  यह भारत के पश्चिमोत्तर में स्थित है। जम्मू कश्मीर , पंजाब, राजस्थान तथा गुजरात सीमा को छूता है।
अफगानिस्तान -  ये भी भारत के पश्चिमोत्तर में स्थित है । भारत की पाक अधिकृत कश्मीर की सीमा अफगानिस्तान से छूती है।
चीन - यह भारत के उत्तर में स्थित है - जम्मू कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश , उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश सीमा को छूता है।
नेपाल - यह भारत के उत्तर में स्थित है तथा उत्तर प्रदेश और बिहार के ठीक उत्तर में है । यह उत्तराखंड ,उत्तर प्रदेश , बिहार , बंगाल तथा सिक्किम की सीमा को छूता है।
भूटान - भारत के पूर्वी हिस्से में उत्तर में स्थित एक छोटा सा देश है । यह सिक्किम,  पश्चिम बंगाल, असम तथा अरुणाचल प्रदेश की सीमा को छूता है।
म्यामांर - यह भारत का सबसे पूर्वी पड़ोसी देश है।यह और अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड , मणिपुर, मिजोरम की सीमा को छूता है।
बांग्लादेश-  यह भारत के पूर्वी देश है यह पश्चिम बंगाल ,असम, मेघालय , त्रिपुरा , मणिपुर की सीमा को छूता है।
श्रीलंका-  यह भारत के दक्षिण में स्थित है तथा पाक जलडमरूमध्य द्वारा भारत से अलग होता है।
मालदीव-  यह भारत के दक्षिण में स्थित एक छोटा देश है।

द्वीप समूह-


  • अरब सागर में भारत का लक्षद्वीप द्वीप समूह स्थित है जबकि बंगाल की खाड़ी में भारत का अंडमान एवं निकोबार दीप समूह स्थित है।
  • लक्ष्यदीप का सबसे दक्षिणी द्वीप मिनीकॉय लक्षद्वीप के एक अन्य द्वीप एड्रॉट  से 9° चैनल द्वारा अलग होता है
  • मिनीकॉय तथा मालदीव के बीच 8 डिग्री चैनल है
  • अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में प्रमुख 6 द्वीप है -
  • उत्तरीअंडमान - अंडमान निकोबार दीप समूह की सबसे ऊंची चोटी सैडल पीक इसी में स्थित है।
  • मध्य अंडमान-  यह दीप अंडमान एवं निकोबार दीप समूह में सबसे बड़ा है।
  • दक्षिण अंडमान - अंडमान एवं निकोबार दीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर इसी में स्थित है।
  • लिटिल अंडमान
  • कार निकोबार-  लिटिल अंडमान एवं कार निकोबार 10 डिग्री चैनल के द्वारा अलग-अलग होते हैं।
  • ग्रेट निकोबार - भारत का सबसे दक्षिणतम बिंदु इंदिरा पॉइंट या पिग्मिलियन पॉइंट इसी द्वीप में स्थित है।
  • अंडमान एवं निकोबार दीप समूह के उत्तर में स्थित कोको द्वीप म्यांमार देश उत्तरी अंडमान से कोको चैनल द्वारा पृथक होता है।



Sunday, September 23, 2018

भारतीय संविधान CHAPTER - 5 / भारतीय संविधान के स्त्रोत


भारतीय संविधान के स्त्रोत 
भारत का संविधान अनेक देशो के संविधान से मिलकर बना है जिनका विवरण इस प्रकार है।


भारतीय अथवा देसी स्त्रोत -
भारत सरकार अधिनियम - 1909
भारत सरकार अधिनियम - 1919
नेहरू रिपोर्ट - 1928
साइमन कमीशन - 1930
भारत सरकार अधिनियम - 1935
भारत सरकार अधिनियम - 1935  का  भारत के संविधान में सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है। भारतीय संविधान के 350 अनुच्छेद में से लगभग 250 अनुच्छेद ऐसे है जो की भारत सरकार अधिनियम - 1935 से या तो शब्दशः ले लिए गए है अथवा उनमे बहुत थोड़ा परिवर्तन के साथ लिया गया है। इन नियमो में कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार है। -
१. अध्यादेश
२. अनुच्छेद -143
३. तदर्थ नियुक्तियां
४. CAG
५. प्रशासनिक ब्यौरे
६. लोक सेवा आयोग
७. राज्यपाल
८. त्रिसूची प्रणाली
९. आपातकाल

विदेशी स्त्रोत -
भारतीय संविधान में जिन देशो का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है वे इस प्रकार है।  -
ब्रिटेन -
१. संसदीय प्रक्रिया
२. विधि निर्माण प्रक्रिया
३. संसदीय विशेषाधिकार
४. एकल नागरिकता
५. विधि का शासन
६. राष्ट्रपति का अभिभाषण
७. बहुमत प्रणाली
८. विधि के समक्ष समानता

संयुक्त राज्य अमेरिका -
१. राष्ट्राध्यक्ष
२. महाभियोग
३. उपराष्ट्रपति
४. मौलिक अधिकार
५. संविधान की सर्वोच्चता
६. नन्यायलय की स्वतंत्रता
७. समुदायिक विकास कार्यक्रम
८. विधि का सामान संरक्षण
HC / SC के न्यायधीशो को हटाने की प्रक्रिया
१०. संविधान संशोधन में राज्यों का अनुमोदन

कनाडा -
१. संघीय शासन व्यवस्था 
२. राज्यों का संघ (ब्रिटिश नार्थ अमेरिका अधिनियम)
३. राज्यपाल , राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त पद 
४. राज्य्पाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारार्थ विधेयक को प्रारक्षित करने का अधिकार 

ऑस्ट्रेलिया - 
१. समवर्ती सूची 
२. प्रस्तावना में प्रयुक्त भाषा 
३. उद्देशिका में निहित भावनाएं

दक्षिण अफ्रीका -
१. संविधान संशोधन की प्रक्रिया 

आयरलैंड -
१. राष्ट्र के नीतिे निदेशक तत्त्व 
२. राष्ट्रपति का निर्वाचन प्रणाली 
३. राज्यसभा में सदस्यों का मनोनयन 

फ्रांस -
१. गणतांत्रिक व्यवस्था 
२. वयोवृद्ध सदस्यों का उचित स्थान 

सोवियत संघ रूस -
१. मूल कर्तव्य 
२. पंचवर्षीय योजना 

जर्मनी -
१. आपातकाल में मूल अधिकारों का निलंबन 

जापान -
१. विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया 

स्विट्ज़रलैंड -
१. सामाजिक नीतियों के सन्दर्भ में निति निदेशक तत्वों का उपबंध 

Tuesday, July 31, 2018

भारतीय संविधान में वर्णित अनुसूचियाँ


भारतीय संविधान में वर्णित अनुसूचियाँ


1. प्रथम अनुसूची - राज्य

   इसमें भारतीय संघ के सभी राज्यों (29 राज्य ) एवं संघ शासित (सात ) क्षेत्रो का उल्लेख है।
नोट - संविधान के 69वें संशोधन के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र (NCR) का दर्जा प्राप्त है।

2. द्वितीय अनुसूची - वेतन

   इसमें भारतीय राज्य व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों को प्राप्त होने वाले वेतन , भत्ते , और पेंशन अदि का उल्लेख है।

3. तृतीय अनुसूची - शपथ

   इसमें विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा पद ग्रहण करते समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है।
नोट - इसमें राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति की शपथ का उल्लेख नहीं है।

4. चौथी अनुसूची - राज्य सभा में सीटों का आवंटन

   इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रो की राज्य सभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है।

5. पांचवी अनुसूची - अनुसूचित क्षेत्रो और जनजातियों के प्रशासनिक कार्य

6. छःठी अनुसूची - इसमें असम , मेघालय और त्रिपुरा राज्यों के जनजाति क्षेत्रो के प्रशासन के बारे में प्रावधान है।

7. सातवीं अनुसूची - त्रिसूची

   इसमें केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे में बताया गया है। इसके अंतर्गत तीन सुचिया है -
१.  संघ सूची - इसमें 100 विषय है  तथा कानून बनाने का अधिकार संघ को है। संविधान लागू होने के समय 97 विषय थे। 
२. राज्य सूची - इसमें 61 विषय है तथा कानून बनाने का अधिकार राज्यों को है। राष्ट्रिय हित से सम्बन्धित होने पर केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है।  संविधान लागू होने के समय 66 विषय थे।
३. समवर्ती सूची - इसमें 52 विषय  है तथा कानून बनाने का अधिकार संघ तथा राज्य दोनों को है। संविधान लागू होने के समय 47 विषय थे।व्यवहारतः समवर्ती सूचि पर भी कानून संघ ही बनता है।

 नोट - समवर्ती सूचीय का प्रावधान जम्मू कश्मीर राज्य के संबंध में नहीं है। 


8. आठवीं अनुसूची - राजभाषाओ का उल्लेख

  इसमें भारत की 22 भाषाओ का उल्लेख किया गया है। मूल रूप से 8वी अनुसूची में 14 भाषाएँ थीं।
१. संस्कृत
२. हिंदी
३. असमिया
४. उर्दू
५. ओड़िया
६. कन्नड़
७. कश्मीरी
८. गुजरती
९. तमिल
१०. तेलुगु
११. पंजाबी
१२. बंगाली
१३. मराठी
१४. मलयालम
१५. सिंधी      { 21वे संविधान संशोधन (1967)}
१६. कोंकणी    {71 वा संविधान संशोधन (1992)}
१७. मणिपुरी    {71 वा संविधान संशोधन (1992)}
१८. नेपाली       {71 वा संविधान संशोधन (1992)}
१९. मैथली     { 92वा संविधान संशोधन (2003)}
२०. संथाली     { 92वा संविधान संशोधन (2003)}
२१. डोगरी       { 92वा संविधान संशोधन (2003)}
२२. बोडो      { 92वा संविधान संशोधन (2003)}

9. नौवीं अनुसूची - राज्य द्वारा संपत्ति का अधिग्रहण। 

 यह अनुसूची संविधान के प्रथम संशोधन के द्वारा सं 1951 में जोड़ी गयी थी।  प्रारम्भ में इसमें रखे विषयो पर न्यायिक पुनरावलोकन नहीं किया जा सकता था।  किन्तु सुप्रीम कोर्ट के नियम - 2007 द्वारा 1973 के बाद के विषयो पर सुप्रीम कोर्ट पुनरावलोकन कर सकेगा।  

10. दसवीं अनुसूची - दल बदल कानून 

यह अनुसूची संविधान में 52 वे संविधान संशोधन -1985 में जोड़ी गयी। 

11. ग्यारहवीं अनुसूची - ग्राम पंचायत 

यह अनुसूची संविधान में 73 वे संविधान सं 1992 द्वारा जोड़ी गयी। 

12. बारहवीं अनुसूची - नगर पंचायत 

यह अनुसूची संविधान में 74वे संशोधन द्वारा सं 1992 में जोड़ी गयी।  




Friday, July 13, 2018

भारतीय संविधान chapter --3/ संशोधन की प्रक्रिया




संविधान संशोधन की प्रक्रिया 


संशोधन के आधार पर संविधान दो प्रकार का होता है 

  1. लचीला संविधान - जिस देश के संविधान में कानून बनाने की प्रक्रिया और संशोधन की प्रक्रिया एक समान हो। 
  2. कठोर संविधान - जिस देश के संविधान में कानून बनाने की प्रक्रिया और संशोधन की प्रक्रिया एक समान न हो। 


  • संशोधन की प्रक्रिया के आधार पर भारत का संविधान मिश्रित (कठोर तथा लचीला ) है। 
  •  संविधान में संशोधन करने के लिए संशोधन विधेयक को संसद के किसी एक सदन ( लोकसभा या राज्यसभा ) में प्रस्तावित करना पड़ता है।  तत्पश्चात विधेयक को संसद के दूसरे सदन में मंजूरी प्राप्त करने के लिए भेजा जाता है। तथा दोनों सदनों में मंजूरी मिल जाने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। तथा राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद संशोधन की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है।  
  • संविधान में संशोधन के लिये तीन प्रकार के  बहुमत की प्रक्रिया का वर्णन है।  

1. साधारण बहुमत द्वारा -

प्रक्रिया - संशोधन विधेयक पास करने के लिए प्रत्येक सदन में उपस्थित सांसदों की न्यूनतम संख्या सदन में कुल आवंटित सीटों के आधे से एक अधिक होनी चाहिए तथा उपस्थित कुल सदस्यों की संख्या के आधे से एक अधिक सदस्यों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए।  

अधिकार क्षेत्र - इस बहुमत द्वारा सामान्य प्रावधानों में परिवर्तन किया जा सकता है।  जैसे - नागरिकता , संसदीय विशेषाधिकार , वेतन , नए राज्य निर्माण आदि। 


2. विशेष बहुमत द्वारा -

प्रक्रिया - संशोधन विधेयक पास करने के लिए प्रत्येक सदन में उपस्थित सांसदों की न्यूनतम संख्या सदन में कुल आवंटित सीटों की दो - तिहाई होनी चाहिए तथा उपस्थित सांसदो की कुल संख्या का दो - तिहाई का समर्थन मिलना चाहिए।  

अधिकार क्षेत्र - सर्वाधिक संशोधन इसी प्रक्रिया के द्वारा होता है। जैसे - मूल अधिकार , मौलिक कर्त्तव्य , राज्य  के निति निदेशक तत्त्व, तथा आपातकाल आदि।  
नोट - सुप्रीम कोर्ट , हाई कोर्ट के जज , तथा महालेखापरीक्षक ( CAG ) को इसी प्रक्रिया के द्वारा हटाया जाता है।   


3. विशेष बहुमत तथा 1/2 राज्यों की सहमति द्वारा -

प्रक्रिया - इस प्रक्रिया में संसद में विशेष बहुमत होने के साथ साथ कुल राज्यों के आधे राज्यों का समर्थंन प्राप्त होना चाहिए।  

अधिकार क्षेत्र - केंद्र तथा राज्य दोनों से सम्बंधित किसी मामले में परिवर्तन, जैसे - 7वीं अनुसूची , राष्ट्रपति निर्वाचन प्रक्रिया , संशोधान की प्रक्रिया तथा संसद में नए राज्य के प्रतिनिधित्व आदि से सम्बंधित मामलो में संशोधन करने के लिए इस प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है। 

  • संविधान में वर्णित अन्य प्रकार के बहुमत -


1. प्रभारी बहुमत - 

 प्रक्रिया - संसद में कुल आवंटित सीटों का 1/10 भाग की उपस्थिति होनी चाहिए।  इस संख्या को कोरम भी कहते है।  
 अधिकार क्षेत्र - यह संख्या किसी भी सदन की कार्यवाही  के लिये अनिवार्य है।  तथा कोरम में बहुमत के द्वारा लोकसभा स्पीकर को हटाया जा सकता है।  

2. बहुमत 1/2 - इस बहुमत का प्रयोग सरकार बनाने में किया जाता है।  
3. FPPS ( first pass post system )- इस प्रक्रिया का प्रयोग साधारण चुनावो में किया जाता है।  जैसे -किसी विधानसभा क्षेत्र में कोई उम्मीदवार अन्य सभी उम्मीदवारों से अधिक वोट पता है जबकि कुल वोटो का 50% से कम पाता है, जीता हुआ घोषित किया जाता है। 


  •  अनुच्छेद - 108 - राष्ट्रपति के बुलाने पर ही लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक होगी।  


  •  संशोधन की सामान्य प्रक्रिया - सशोधन का प्रारम्भ विधेयक बनाकर ही होगा।  



  • संसद किसी भी भाग या अनुच्छेद में संशोधन कर  है।  किन्तु संविधान का मूल ढांचा नष्ट नहीं होना चाहिए।  
  • संशोधन केवल केंद्र सरकार  ही कर  सकती है। 
  • भारत में संशोधन के लिए जनमत संग्रह का प्रावधान नहीं है। 



विश्लेषण -


महत्व -

  •  संविधान को नए जीवन से जोड़ने हेतु संशोधन आवश्यक है।  
  •  संशोधन आधुनिकीकरण  की प्रक्रिया में सहायक है।  
  • इससे संविधान जनता की इच्छा का प्रतिबिम्ब बनता है।  


समस्या -

  • राजनैतिक पार्टिया अपने दलीय स्वार्थ हेतु संशोधन करती है।  
  • न्यायपालिका तथा कार्यपालिका में टकराओ की स्थिति उत्पन्न होती है।केंद्र तथा राज्य सरकारों के मध्य सम्बन्ध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 
  • कभी कभी किसी संशोधन में राज्यों का समर्थन देरी से मिलता है। 


NOTE - व्यवहारतः समवर्ती सूची पर भी केंद्र सरकार ही कानून बनती है। 


निष्कर्ष - संशोधन के द्वारा संविधान प्रगतिशील बना है। सामाजिक , आर्थिक , न्याय को बढ़ावा मिलता है। लेकिन अभी भी सकारात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।  जिससे कि सिद्धांत एवं व्यव्हार में अंतर समाप्त हो। 


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