सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता के विस्तृत अध्ययन के लिए हम इसे निम्न भागो
में बांटकर अधययन करेंगे।
१. भूमिका
२. विस्तार
३. कालक्रम
४. उत्पत्ति
५. प्रमुख स्थान
६. अन्य स्थान
७. सामाजिक व धार्मिक जीवन
८. आर्थिक जीवन
९. पतन के कारण
भूमिका
सिंधु घाटी सभ्यता की
खोज से पहले भारत प्रामाणिक विकसित और क्रमबद्ध इतिहास का आरंभ वैदिक सभ्यता से
माना जाता था किन्तु इस सभ्यता की खोज में भारतीय इतिहास के आरम्भ को बदल दिया। तथा विकसित भारतीय
सभ्यता के कालक्रम में 1500
वर्षो का इतिहास जोड़ दिया।
सिंधु घाटी सभ्यता को अन्य नामो से भी जाना जाता
है जो की इस प्रकार है -
- हड़प्पा सभ्यता
- सिंधु घटी सभ्यता
- सरस्वती सभ्यता
- प्रथम नगरीय क्रांति की सभ्यता
- कांस्य युगीन सभ्यता
- इस सभ्यता का आकार त्रिभुजाकार है तथा वर्तमान समय तक खोजे गए प्रमाणों के आधार पर इस सभ्यता का विस्तार 20 लाख किमी० है।
- 1826 ई० में सर्वप्रथम चार्ल्स मेमन का ध्यान हड़प्पा टीले की ओर आकर्षित हुआ। तत्पश्चात 1853-56 ई० के मध्य रेलवे लाइन बिछाते समय जॉन ब्रंटन था विलियम ब्रंटन का भी ध्यान आकर्षित हुआ किन्तु अभी तक इसे किसी ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया।
- 1921 ई० को तत्कालीन भारतीय पुरातत्व एवं खनन विभाग के अध्यक्ष जॉन मार्शल के आदेशो पर दयाराम साहनी (प्रमुख उतखननकर्ता) की अगुवाई में हड़प्पा नामक नगर खोजा गया। जिससे पुरातत्व विभाग का ध्यान विशेष रूप से इस सभ्यता की ओर आकर्षित हुआ।
विस्तार
सिंध (पाकिस्तान) - मोहनजोदड़ो , चन्हूदड़ो , कोटजीदी , आमरी , अलीमुराद
पंजाब (पाकिस्तान)- हड़प्पा, जलीलपुर , रहमानदेरी
जम्मू कश्मीर (भारत)- मांडा
पंजाब (भारत)- रोपड़ , संघोल
हरियाणा (भारत) - राखीगढ़ी , बनवाली , मिताथल, बालू , कुनाल , सीसवाल
राजस्थान (भारत) - कालीबंगा
उत्तर प्रदेश (भारत)- सहारनपुर में
बड़ागांव तथा हुलर।मेरठ में आलमगीरपुर।
गुजरात (भारत ) - कच्छ की खाड़ी
में- सुरकोतड़ा , धौलावीरा , देसलपुर। खम्भात की खाड़ी में- लोथल, रंगपुर, भगदराव, मेघम ,कुन्तासी तथा शिकारपुर।
नोट - सबसे अधिक स्थल
गुजरात में प्राप्त हुए है।
- इस सभ्यता का सबसे पूर्वी स्थल - आलमगीरपुर
- इस सभ्यता का सबसे पश्चिमी स्थल - सुतकागेंडोर
- इस सभ्यता का सबसे उत्तरी स्थल - मांडा
- इस सभ्यता का सबसे दक्षिणी स्थल - दैमाबाद
- सभ्यता का पूर्व के पश्चिम की और विस्तार - 1600 KM
- इस सभ्यता का उत्तर से दक्षिण की विस्तार - 1400 KM
- इस सभ्यता की जल सीमा - 1300 KM
- 1947 ई० तक हुए 40 स्थलों की खोज में अधिकतर सिंधु नदी के तट पर थे। जिस कारन इस सभ्यता का नाम सिंधु घाटी सभ्यता पड़ा।
- वर्त्तमान में 1400 स्थलों में सर्वाधिक 1100 स्थल सरस्वती (विलुप्त) नदी या घघ्घर नदी के तट पर पाए गए है।
कालक्रम
हड़प्पा सभ्यता का काल कब
से कब तक रहा इस बात को लेकर विद्वानों में मतभेद है ,
सही कालखंड न जान पाने
के कारन
१. लिपि का न पढ़ा जा
सकना
२. लम्बवत खुदाई में
समस्या
इन समस्याओं के बावजूद
विद्वानों ने अलग अलग कालक्रम को माना है जिनमे कुछ प्रमुख इस प्रकार है -
- फादर H. हेरास - 6000 BC
- सर जॉन मार्शल - 3250 - 2750 BC
- मार्टिल व्हीलर - 2500 - 1500 BC
- फेयर सर्विस - 2350 - 1750 BC
- रेडियो कार्बन विधि - 2000 - 1500LNOW MORE
Nice
ReplyDeleteNice information sir, thanks to share it.
ReplyDeleteSindhu Sabhyata Gk In Hindi
सिन्धु घाटी सभ्यता : परिचय, प्रमुख स्थल, कृषि, पतन के कारण Sindhu Ghati Sabhyta In Hindi सिन्धु घाटी सभ्यता का विकास सिन्धु नदी के आस-पास हुआ विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक सभ्यता सिन्धु घटी सभ्यता है | इसकी खोज 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी द्वारा की गयी थी | इसको हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है एक शोध के अनुसार यह सभ्यता लगभग 8000 वर्ष पुरानी है |
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