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Monday, September 3, 2018

सिंधु घाटी सभ्यता - 2 / उत्पत्ति, नगर

                                  

 उत्पत्ति -

सिंधु घाटी सभ्यता की उत्पत्ति एवं विकास को लेकर विद्वानों का अलग अलग मत है- 
१. विदेशी उत्पत्ति का मत 
२. देशी उत्पत्ति का मत 


विदेशी उत्पत्ति का मत - इस मत के अनुसार हड़प्पा सभ्यता की उत्पत्ति मेसोपोटामिया की सभ्यता के विस्तार स्वरुप हुई थी। इस मत के समर्थन करने वाले विद्वानों में जॉन मार्शल , क्रेमर , H.D. सांकलिया प्रमुख है।KNOW MORE  



देशी उत्पत्ति का मत (क्रमिक विकास) - इस मत को मानने वालो में भी  अलग अलग मत है - 
१. ईरानी - बलूचिस्तान सभ्यता का विकास 
इस मत के प्रमुख पक्षधर विद्वान फेयर सर्विसव तथा रोमिला थापर है।  
२. सोथी संस्कृति का विकास - 
इस मत के प्रमुख पक्षधर विद्वानों में अम्लानन्द घोष , आल्चिन दम्पति तथा D.P. अग्रवाल है। 
नोट - साथी संस्कृति की खोज सं 1953 में अमलानंद घोष ने राजस्थान में की थी। 

ड़प्पा कालीन नगर
 सिंधु घाटी सभ्यता को प्रथम नगरीय सभ्यता कहते है तथापि इसमें खोजे गए 1400 से अधिक स्थलों में केवल 7 स्थलों को ही नगर की संज्ञा दी गयी है।  जो  निम्न है - 

१. हड़प्पा 

२. मोहनजोदड़ो 

३. लोथल 

४. धौलावीरा 

५. कालीबंगा 

६. चन्हूदड़ो 

७. बनवाली 


नोट - सभी नगर दो भागो में बटे थे - 
. पूर्वी टीला - नगर 
२. पश्चिमी टीला - यह दुर्ग या गढ़ी था जहां उच्च वर्ग के लोग रहते थे।  KNOW MORE


हड़प्पा - 



  • यह नगर पकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मांटगुमरी जिला (आधुनिक शाहीवाल) में स्थित था।  
  • यह रावी नदी के बाये तट पर बसा था।  
  • पश्चिमी टीला दुर्ग से घिरा था।  जिसे AB टीला नाम दिया गया  है।  
  • AB टीले के उत्तर में F टीला पाया गया।  जिसमे अन्नागार (दी पंक्तियों में 6+6=12) , 15 श्रमिक आवास , 18 वृत्ताकार चबूतरे मिले है। 
  • गेहूं व जौ के दाने के साक्ष्य मिले है। 
  • AB टीला से लकड़ी की कब्र मिली है जिसे R-37 नाम दिया गया है। 
  • इस नगर के खोज से सम्बंधित व्यक्ति -
  1.  निदेशक - जॉन मार्शल 
  2. उत्खननकर्ता - दयाराम साहनी 
  3. सहायक - माधवस्वरूप वत्स 
  • यह नगर सन 1921 में खोजा गया। 
  • नगर क्षेत्र से ताम्बे की इक्कागाड़ी तथा सर्वाधिक अभिलेखी मुहरों के साक्ष्य मिले है। 

मोहनजोदड़ो -


  • नगर पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के लरकाना जिले में पाया गया।  
  • यह सिंधु नदी के दाएं तट पर बसा है। 
  • 1922 में राखालदास बनर्जी द्वारा इसे उत्खनित (खोजा) किया गया। 
  • जॉन मार्शल के अनुसार यह नगर सात बार बाढ़ के डूबा था।  
  • KUR कैनेडी के अनुसार भीषण मलेरिया के इस नगर का पतन हुआ। 
  • यह नगर इस सभ्यता का सर्वाधिक जनसँख्या वाला नगर था जिसकी कुल आबादी लगभग 35 से 40  हज़ार थी। KNOW MORE
  • इसके अन्य उपनाम इस प्रकार है - 
  1. मृतकों का टीला 
  2. प्रेतों का नगर 
  3. सिंधु का बाग 
  4. स्तूप टीला 
  • हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो को जुड़वाँ राजधानी कहा गया है। 
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से यह नगर इस सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा नगर था।
  • पश्चिमी टीले से सभा भवन, पुरोहित आवास , महाविद्यालय तथा घर आदि के साक्ष्य मिले है 
  • प्रत्येक घर से कुंआ , स्नानागार , 3 से 4 कमरे , तथा दोकमंजिला घर प्राप्त हुए है।  
  • पश्चिमी टीले में अन्नागार , वृहत स्नानागार (जॉन मार्शल के अनुसार तत्कालीन विश्व का सबसे बड़ा आश्चर्य) प्राप्त हुआ है। 
  • सबसे बड़ी इमरती संरचना अन्नागार प्राप्त हुई है। 
  • पूर्वी टीले से प्राप्त कुछ विशेष साक्ष्य -
  1. 10 इंच की कांस्यमूर्ति प्रोटोस्टाइलट प्रजाति की। 
  2. 1200 मुहरे (सर्वाधिक) वर्गाकार प्राप्त हुई है।  
  3. सूती कपडा चाकू के साथ। 
  4. एक 10 मीटर चौड़ा राजपथ मार्ग पाया गया। 
  5. पक्की सड़को का एक मात्र स्थान पाया गया।  




 लोथल 



  •  यह नगर भारत के गुजरात में अहमदाबाद जिले में पाया गया है। 
  • यह भोगवा नदी के तट पर खंभात की खाड़ी के समीप पाया गया है। 
  • इसकी खोज SR राव ने सन 1954  की। 
  • इसे लघु हड़प्पा या लघु मोहनजोदड़ो भी कहते है। 
  • यहां से 20 समाधियां पायी गयी है। इसे मुर्दो का नगर भी कहा जाता है। 
  • 3 युग्मित (स्त्री + पुरुष) समाधियां पायी गयी है। जो की सती प्रथा का प्रतीक है।  
  • दोनो टीले एक ही प्राचीर से घिरे थे। ( सुरकोतड़ा में भी) 
  • रंगाई कुंड , आटा पीसने की चक्की , मनका बनाने के कारखाने आदि के साक्ष्य प्राप्त हुए है। 
  • अग्निकुंड के साक्ष्य प्राप्त हुए है।  
  • धान तथा बाजरा के साक्ष्य।
  • ममी का मॉडल प्राप्त हुआ है। KNOW MORE
  • गोरिल्ला व बारहसिंहा के छाप की मुहरे प्राप्त हुई है। 
  • दो मुँह वाले राक्षस छाप की मुहरे प्राप्त हुई जो की फारस से सम्बंधित है। 
  • गोड़ीवाड़ा बंदरगाह प्राप्त हुआ। 
  • हाथी दन्त का पैमाना प्राप्त हुआ है। 


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