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Sunday, September 23, 2018

छठी शताब्दी ईसापूर्व-1



छठी शताब्दी ईसापूर्व-1


छठी शताब्दी ईसा पूर्व भारत में कुल 16 महाजनपद थे अतः इसे महाजनपद काल भी कहते हैं।
इसे महापरिवर्तन काल भी कहा जाता है क्योंकि इस काल में निम्न क्षेत्र में परिवर्तन हुए-

राजनीतिक क्षेत्र में-

  1. ऋग्वेद कालीन जन उत्तर वैदिक काल में जनपद में बदल गए तथा छठी शताब्दी ईसापूर्व तक यह जनपद महाजनपद में बदल गए। और यहां से साम्राज्य की नींव पड़ी।
  2. इसी समय 10 गणतंत्र राज्यों का भी उद्धार हुआ।
  3. इसी समय मगध का उत्कर्ष हुआ और मगध एक महान साम्राज्य के रूप में उभरकर सामने आया।



आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन -


  1. व्यापार तथा वाणिज्य की पर्याप्त जानकारी
  2. मुद्रा का प्रचलन
  3. श्रेष्ठी( व्यापारिक समूह की जानकारी)
  4. राज्य द्वारा व्यापारियों को संरक्षण
  5. व्यापारियों द्वारा राजाओं की मदद
  6. इन सब कारणों से जनपद आर्थिक विकास हुआ तथा वह महाजनपद बने।



द्वितीय नगरीकरण-


  • गंगा नदी घाटी के किनारे महाजनपदों (महानगरों) का उद्भव हुआ।



सांस्कृतिक क्षेत्र में परिवर्तन-


  1. वैदिक काल के अंत आते आते हैं उसमें कुरीतियों का स्थान बढ़ता गया तथा यज्ञ में पशु बलि , अनेकेश्वरवाद , तथा अन्य पाखंड बढ़ने लगे थे जिसका कि महाजनपद काल में बड़ी मात्रा में विरोध हुआ।
  2. बौद्ध तथा जैन धर्म का उद्भव हुआ।



सामाजिक परिवर्तन-


  • वैदिक कालीन कर्म प्रधान परंपरा अब जातिवाद का रूप लेने लगी। छुआछूत की व्यवस्था स्थापित होने लगी।



विदेशी आक्रमण-


  1. सर्वप्रथम ईरानियों( फारसियों) कहां आक्रमण हुआ।
  2. दूसरा आक्रमण सिकंदर के रूप में यूनानियों का हुआ।


उपर्युक्त परिवर्तनों को देखते हुए इस काल को महापरिवर्तन काल भी कहा गया है।

16 महाजनपद-

16 महाजनपदों का साक्ष्य  बौद्ध ग्रंथ के अंगुत्तर निकाय तथा जैन ग्रंथ भगवती सूत्र से मिलते हैं।

यह 16 महाजनपद निम्नवत है-

  1. कंबोज
  2. गांधार
  3. कुरू
  4. पांचाल
  5. कोसल
  6. वज्जि
  7. मल्ल
  8. शूरसेन
  9. मत्स्य
  10. चेदि
  11. अवंति
  12. काशी
  13. मगध
  14. अंग
  15. अश्मक
  16. वत्स


कंबोज-


  • इसकी राजधानी राजपुर/ हाटक थी।
  • यह आधुनिक पाकिस्तान के हजारा और राजौरी वाला क्षेत्र है।
  • चाणक्य ने अपनी अर्थशास्त्र में यहां के लोगों के लिए वार्ताशस्त्र्योपजीवी शब्द का प्रयोग किया है। जिसका अर्थ है शस्त्रों के व्यापार पर आधारित जीवन।
  • कंबोज अच्छे नस्ल के घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था।


गांधार-


  • गांधार की पूरी राजधानी तक्षशिला तथा पश्चिमी राजधानी पुष्कलावती थी। इनमें तक्षशिला प्रमुख थी। तथा पुष्कलावती की पहचान आधुनिक चारसद्दा से की गई है।
  • गंधार का प्रसिद्ध शासक पुष्कर सरीन था। जिसने अवंति नरेश चंद प्रद्योत को हराया था। मगध नरेश बिंबिसार ने इस के दरबार में अपना एक दूत मैत्री संबंध के लिए भेजा था
  • तक्षशिला की स्थापना भरत के पुत्र तक्ष ने की थी।
  • तक्षशिला छठी शताब्दी ईसापूर्व के एक महान शिक्षा का केंद्र था जो कि विश्वविख्यात विश्वविद्यालय था।


कुरू -


  • कुरु जनपद की राजधानी हस्तिनापुर थी जोकि आधुनिक मेरठ का क्षेत्र है।
  • यहां का प्रसिद्ध शासक कोरव्य था।
  • हस्तिनापुर जब बाल से डूब गया तो यहां के शासक चक्षु ने कौशांबी को अपनी नई राजधानी बनाई।






    

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