हड़प्पा कालीन समाज -
हड़प्पा कालीन नगर नियोजन -
- घरों के दरवाजे सड़कों पर नहीं बल्कि गलियों में खुलते थे। किंतु इसका अपवाद लोथल में देखने को मिलता है।
- हड़प्पा कालीन नगर आयताकार या वर्गाकार थे।
- प्रत्येक घर में कुआं स्नानागार और रसोईघर होता था।
- घर दो से तीन मंजिल तक होते थे।
हड़प्पा कालीन सामाजिक पक्ष -
हड़प्पा कालीन सामाजिक पक्ष को जानने के लिए हम विषय निम्नलिखित पांच भागों में विभाजित करके जानने का प्रयास करेंगे। -समाज
स्त्रियों की दशा
खानपान
वेशभूषा
मनोरंजन
समाज -
हड़प्पा कालीन समाज निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित था।विशिष्ट वर्ग - इस वर्ग के अंतर्गत पुरोहित प्रशासनिक अधिकारी आदि को सम्मिलित किया जाता था।
मध्यमवर्ग - इस वर्ग के अंतर्गत व्यापारी कारीगर शिक्षक तथा किसानों को सम्मिलित किया जाता था।
कमजोर वर्ग - इस वर्ग के अंतर्गत मजदूरों तथा दासों को सम्मिलित किया जाता था।
हड़प्पा कालीन समाज में निम्नलिखित चार प्रजातियां पाए जाने के संदेश मिलते हैं -
अल्पाइन
भूमध्यसागरीय (जो कि सबसे अधिक थे)
प्रोटो आस्ट्रेलायड
मंगोलायड
स्त्रियों की दशा -
- हड़प्पाकालीन समाज मातृ प्रधान समाज था यहां पर शक्ति तथा उर्वरता के रूप में स्त्री की पूजा की जाती थी ।
- हड़प्पा कालीन सभ्यता से सती प्रथा के भी साक्ष्य मिले हैं।
- लोथल से 3 युग्मित समाधियां प्राप्त हुई हैं।
- कालीबंगा से कई युग्मित समाधियां प्राप्त हुई हैं।
खानपान -
हड़प्पाकालीन लोग शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों ही थे।वेशभूषा -
- हड़प्पा कालीन लोग सूती तथा ऊनी दोनों प्रकार के वस्त्रों का प्रयोग करते थे।
- सूती शॉल के साक्ष्य मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए हैं।
- हड़प्पाकालीन लोग मुख्यतः सोना, चांदी ,मणिक
- हाथी दांत, शंख ,सीप, तथा मिट्टी के आभूषणों का प्रयोग करते थे।
मनोरंजन के साधन -
हड़प्पा कालीन लोग मुख्यतः शिकार खेलना, मछली पकड़ना,, पशु पक्षियों को लड़ाना, चौपाल और पासा खेलना, ढोल मंजीरे बजाना, तथा नृत्य व गीत आदि से अपना मनोरंजन करते थे।हड़प्पा कालीन धार्मिक जीवन -
- हड़प्पा कालीन लोग मातृदेवी की पूजा करते थे।
- यह लोग पशुपति देव की भी पूजा करते थे। जिसके साक्ष्य मोहनजोदड़ो की मुहरों में मिलते हैं।
- इस सभ्यता के लोग वृषभ पूजा भी करते थे। जिसमें वे मुख्यतः एक सींग वाला बैल की पूजा विशेष रुप से करते थे इसके साक्ष्य मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए हैं।
- यहां के लोग जल पूजा, अग्नि पूजा, वृक्ष पूजा, पशु पूजा, तथा नाग पूजा भी करते थे।
हड़प्पाकालीन सभ्यता का पतन -
- इस सभ्यता का पतन कई वर्षों के निरंतर विकसित होती गई संस्कृति विकास के क्रम में पाया जाता है। जैसे की नगरी विकास के लक्षणों का धीरे-धीरे अंत होने लगा।
- चौड़ी सड़कें तंग गलियों में बदल गई।
- पूर्व के नियोजित घरों का स्थान बेतरतीब घरों ने ले लिया।
- घर के अंदर के बड़े आंगन छोटे-छोटे आंगनों में बदल गए तथा आंगन में पतली दीवारें उठ गई।
- पक्की ईंटों का प्रयोग के स्थान पर पुरानी ईंटों का प्रयोग होने लगा।
- बहावलपुर क्षेत्र में 174 बस्तियों में से 50 बस्तियां रह गई।
- हड़प्पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल से बस्तियां पूर्वी क्षेत्रों( उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात) मैं जाने लगी।
- मेसोपोटामिया सभ्यता में भी सन 1900 BC के बाद
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