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Wednesday, September 12, 2018

हड़प्पा कालीन समाज


हड़प्पा कालीन समाज -


हड़प्पा कालीन नगर नियोजन -


  • घरों के दरवाजे सड़कों पर नहीं बल्कि गलियों में खुलते थे। किंतु इसका अपवाद लोथल में देखने को मिलता है।
  • हड़प्पा कालीन नगर आयताकार या वर्गाकार थे।
  • प्रत्येक घर में कुआं स्नानागार और रसोईघर होता था।
  • घर दो से तीन मंजिल तक होते थे।


हड़प्पा कालीन सामाजिक पक्ष -

हड़प्पा कालीन सामाजिक पक्ष को जानने के लिए हम विषय निम्नलिखित पांच भागों में विभाजित करके जानने का प्रयास करेंगे। -
समाज
स्त्रियों की दशा
खानपान
वेशभूषा
मनोरंजन


समाज -

हड़प्पा कालीन समाज निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित था।
विशिष्ट वर्ग - इस वर्ग के अंतर्गत पुरोहित प्रशासनिक अधिकारी आदि को सम्मिलित किया जाता था।
मध्यमवर्ग  - इस वर्ग के अंतर्गत व्यापारी कारीगर शिक्षक तथा किसानों को सम्मिलित किया जाता था।
कमजोर वर्ग - इस वर्ग के अंतर्गत मजदूरों तथा दासों को सम्मिलित किया जाता था।

हड़प्पा कालीन समाज में निम्नलिखित चार प्रजातियां पाए जाने के संदेश मिलते हैं -
अल्पाइन
भूमध्यसागरीय (जो कि सबसे अधिक थे)
प्रोटो आस्ट्रेलायड
मंगोलायड

स्त्रियों की दशा -


  • हड़प्पाकालीन समाज मातृ प्रधान समाज था यहां पर शक्ति तथा उर्वरता के रूप में स्त्री की पूजा की जाती थी ।
  • हड़प्पा कालीन सभ्यता से सती प्रथा के भी साक्ष्य मिले हैं।
  • लोथल से 3 युग्मित समाधियां प्राप्त हुई हैं।
  • कालीबंगा से कई युग्मित समाधियां प्राप्त हुई हैं।


खानपान -

हड़प्पाकालीन लोग शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों ही थे।

वेशभूषा -


  • हड़प्पा कालीन लोग सूती तथा ऊनी दोनों प्रकार के वस्त्रों का प्रयोग करते थे।
  • सूती शॉल के साक्ष्य मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए हैं।
  • हड़प्पाकालीन लोग मुख्यतः सोना, चांदी ,मणिक
  •  हाथी दांत, शंख ,सीप, तथा मिट्टी के आभूषणों का प्रयोग करते थे।


मनोरंजन के साधन -

हड़प्पा कालीन लोग मुख्यतः शिकार खेलना, मछली पकड़ना,, पशु पक्षियों को लड़ाना, चौपाल और पासा खेलना, ढोल मंजीरे बजाना, तथा नृत्य व गीत आदि से अपना मनोरंजन करते थे।

हड़प्पा कालीन धार्मिक जीवन -


  • हड़प्पा कालीन लोग मातृदेवी की पूजा करते थे।
  • यह लोग पशुपति देव की भी पूजा करते थे। जिसके साक्ष्य मोहनजोदड़ो की मुहरों में मिलते हैं।
  • इस सभ्यता के लोग वृषभ पूजा भी करते थे। जिसमें वे मुख्यतः एक सींग वाला बैल की पूजा विशेष रुप से करते थे इसके साक्ष्य मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए हैं।
  • यहां के लोग जल पूजा, अग्नि पूजा, वृक्ष पूजा, पशु पूजा, तथा नाग पूजा भी करते थे।


हड़प्पाकालीन सभ्यता का पतन -


  • इस सभ्यता का पतन कई वर्षों के निरंतर विकसित होती गई संस्कृति विकास के क्रम में पाया जाता है। जैसे की नगरी विकास के लक्षणों का धीरे-धीरे अंत होने लगा।
  • चौड़ी सड़कें तंग गलियों में बदल गई।
  • पूर्व के नियोजित घरों का स्थान बेतरतीब घरों ने ले लिया।
  • घर के अंदर के बड़े आंगन छोटे-छोटे आंगनों में बदल गए तथा आंगन में पतली दीवारें उठ गई।
  • पक्की ईंटों का प्रयोग के स्थान पर पुरानी ईंटों का प्रयोग होने लगा।
  • बहावलपुर क्षेत्र में 174 बस्तियों में से 50 बस्तियां रह गई।
  • हड़प्पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल से बस्तियां पूर्वी क्षेत्रों( उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात) मैं जाने लगी।
  • मेसोपोटामिया सभ्यता में भी सन 1900 BC के बाद 

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