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Tuesday, July 31, 2018

भारतीय संविधान में वर्णित अनुसूचियाँ


भारतीय संविधान में वर्णित अनुसूचियाँ


1. प्रथम अनुसूची - राज्य

   इसमें भारतीय संघ के सभी राज्यों (29 राज्य ) एवं संघ शासित (सात ) क्षेत्रो का उल्लेख है।
नोट - संविधान के 69वें संशोधन के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र (NCR) का दर्जा प्राप्त है।

2. द्वितीय अनुसूची - वेतन

   इसमें भारतीय राज्य व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों को प्राप्त होने वाले वेतन , भत्ते , और पेंशन अदि का उल्लेख है।

3. तृतीय अनुसूची - शपथ

   इसमें विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा पद ग्रहण करते समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है।
नोट - इसमें राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति की शपथ का उल्लेख नहीं है।

4. चौथी अनुसूची - राज्य सभा में सीटों का आवंटन

   इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रो की राज्य सभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है।

5. पांचवी अनुसूची - अनुसूचित क्षेत्रो और जनजातियों के प्रशासनिक कार्य

6. छःठी अनुसूची - इसमें असम , मेघालय और त्रिपुरा राज्यों के जनजाति क्षेत्रो के प्रशासन के बारे में प्रावधान है।

7. सातवीं अनुसूची - त्रिसूची

   इसमें केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे में बताया गया है। इसके अंतर्गत तीन सुचिया है -
१.  संघ सूची - इसमें 100 विषय है  तथा कानून बनाने का अधिकार संघ को है। संविधान लागू होने के समय 97 विषय थे। 
२. राज्य सूची - इसमें 61 विषय है तथा कानून बनाने का अधिकार राज्यों को है। राष्ट्रिय हित से सम्बन्धित होने पर केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है।  संविधान लागू होने के समय 66 विषय थे।
३. समवर्ती सूची - इसमें 52 विषय  है तथा कानून बनाने का अधिकार संघ तथा राज्य दोनों को है। संविधान लागू होने के समय 47 विषय थे।व्यवहारतः समवर्ती सूचि पर भी कानून संघ ही बनता है।

 नोट - समवर्ती सूचीय का प्रावधान जम्मू कश्मीर राज्य के संबंध में नहीं है। 


8. आठवीं अनुसूची - राजभाषाओ का उल्लेख

  इसमें भारत की 22 भाषाओ का उल्लेख किया गया है। मूल रूप से 8वी अनुसूची में 14 भाषाएँ थीं।
१. संस्कृत
२. हिंदी
३. असमिया
४. उर्दू
५. ओड़िया
६. कन्नड़
७. कश्मीरी
८. गुजरती
९. तमिल
१०. तेलुगु
११. पंजाबी
१२. बंगाली
१३. मराठी
१४. मलयालम
१५. सिंधी      { 21वे संविधान संशोधन (1967)}
१६. कोंकणी    {71 वा संविधान संशोधन (1992)}
१७. मणिपुरी    {71 वा संविधान संशोधन (1992)}
१८. नेपाली       {71 वा संविधान संशोधन (1992)}
१९. मैथली     { 92वा संविधान संशोधन (2003)}
२०. संथाली     { 92वा संविधान संशोधन (2003)}
२१. डोगरी       { 92वा संविधान संशोधन (2003)}
२२. बोडो      { 92वा संविधान संशोधन (2003)}

9. नौवीं अनुसूची - राज्य द्वारा संपत्ति का अधिग्रहण। 

 यह अनुसूची संविधान के प्रथम संशोधन के द्वारा सं 1951 में जोड़ी गयी थी।  प्रारम्भ में इसमें रखे विषयो पर न्यायिक पुनरावलोकन नहीं किया जा सकता था।  किन्तु सुप्रीम कोर्ट के नियम - 2007 द्वारा 1973 के बाद के विषयो पर सुप्रीम कोर्ट पुनरावलोकन कर सकेगा।  

10. दसवीं अनुसूची - दल बदल कानून 

यह अनुसूची संविधान में 52 वे संविधान संशोधन -1985 में जोड़ी गयी। 

11. ग्यारहवीं अनुसूची - ग्राम पंचायत 

यह अनुसूची संविधान में 73 वे संविधान सं 1992 द्वारा जोड़ी गयी। 

12. बारहवीं अनुसूची - नगर पंचायत 

यह अनुसूची संविधान में 74वे संशोधन द्वारा सं 1992 में जोड़ी गयी।  




Friday, July 13, 2018

भारतीय संविधान chapter --3/ संशोधन की प्रक्रिया




संविधान संशोधन की प्रक्रिया 


संशोधन के आधार पर संविधान दो प्रकार का होता है 

  1. लचीला संविधान - जिस देश के संविधान में कानून बनाने की प्रक्रिया और संशोधन की प्रक्रिया एक समान हो। 
  2. कठोर संविधान - जिस देश के संविधान में कानून बनाने की प्रक्रिया और संशोधन की प्रक्रिया एक समान न हो। 


  • संशोधन की प्रक्रिया के आधार पर भारत का संविधान मिश्रित (कठोर तथा लचीला ) है। 
  •  संविधान में संशोधन करने के लिए संशोधन विधेयक को संसद के किसी एक सदन ( लोकसभा या राज्यसभा ) में प्रस्तावित करना पड़ता है।  तत्पश्चात विधेयक को संसद के दूसरे सदन में मंजूरी प्राप्त करने के लिए भेजा जाता है। तथा दोनों सदनों में मंजूरी मिल जाने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। तथा राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद संशोधन की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है।  
  • संविधान में संशोधन के लिये तीन प्रकार के  बहुमत की प्रक्रिया का वर्णन है।  

1. साधारण बहुमत द्वारा -

प्रक्रिया - संशोधन विधेयक पास करने के लिए प्रत्येक सदन में उपस्थित सांसदों की न्यूनतम संख्या सदन में कुल आवंटित सीटों के आधे से एक अधिक होनी चाहिए तथा उपस्थित कुल सदस्यों की संख्या के आधे से एक अधिक सदस्यों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए।  

अधिकार क्षेत्र - इस बहुमत द्वारा सामान्य प्रावधानों में परिवर्तन किया जा सकता है।  जैसे - नागरिकता , संसदीय विशेषाधिकार , वेतन , नए राज्य निर्माण आदि। 


2. विशेष बहुमत द्वारा -

प्रक्रिया - संशोधन विधेयक पास करने के लिए प्रत्येक सदन में उपस्थित सांसदों की न्यूनतम संख्या सदन में कुल आवंटित सीटों की दो - तिहाई होनी चाहिए तथा उपस्थित सांसदो की कुल संख्या का दो - तिहाई का समर्थन मिलना चाहिए।  

अधिकार क्षेत्र - सर्वाधिक संशोधन इसी प्रक्रिया के द्वारा होता है। जैसे - मूल अधिकार , मौलिक कर्त्तव्य , राज्य  के निति निदेशक तत्त्व, तथा आपातकाल आदि।  
नोट - सुप्रीम कोर्ट , हाई कोर्ट के जज , तथा महालेखापरीक्षक ( CAG ) को इसी प्रक्रिया के द्वारा हटाया जाता है।   


3. विशेष बहुमत तथा 1/2 राज्यों की सहमति द्वारा -

प्रक्रिया - इस प्रक्रिया में संसद में विशेष बहुमत होने के साथ साथ कुल राज्यों के आधे राज्यों का समर्थंन प्राप्त होना चाहिए।  

अधिकार क्षेत्र - केंद्र तथा राज्य दोनों से सम्बंधित किसी मामले में परिवर्तन, जैसे - 7वीं अनुसूची , राष्ट्रपति निर्वाचन प्रक्रिया , संशोधान की प्रक्रिया तथा संसद में नए राज्य के प्रतिनिधित्व आदि से सम्बंधित मामलो में संशोधन करने के लिए इस प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है। 

  • संविधान में वर्णित अन्य प्रकार के बहुमत -


1. प्रभारी बहुमत - 

 प्रक्रिया - संसद में कुल आवंटित सीटों का 1/10 भाग की उपस्थिति होनी चाहिए।  इस संख्या को कोरम भी कहते है।  
 अधिकार क्षेत्र - यह संख्या किसी भी सदन की कार्यवाही  के लिये अनिवार्य है।  तथा कोरम में बहुमत के द्वारा लोकसभा स्पीकर को हटाया जा सकता है।  

2. बहुमत 1/2 - इस बहुमत का प्रयोग सरकार बनाने में किया जाता है।  
3. FPPS ( first pass post system )- इस प्रक्रिया का प्रयोग साधारण चुनावो में किया जाता है।  जैसे -किसी विधानसभा क्षेत्र में कोई उम्मीदवार अन्य सभी उम्मीदवारों से अधिक वोट पता है जबकि कुल वोटो का 50% से कम पाता है, जीता हुआ घोषित किया जाता है। 


  •  अनुच्छेद - 108 - राष्ट्रपति के बुलाने पर ही लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक होगी।  


  •  संशोधन की सामान्य प्रक्रिया - सशोधन का प्रारम्भ विधेयक बनाकर ही होगा।  



  • संसद किसी भी भाग या अनुच्छेद में संशोधन कर  है।  किन्तु संविधान का मूल ढांचा नष्ट नहीं होना चाहिए।  
  • संशोधन केवल केंद्र सरकार  ही कर  सकती है। 
  • भारत में संशोधन के लिए जनमत संग्रह का प्रावधान नहीं है। 



विश्लेषण -


महत्व -

  •  संविधान को नए जीवन से जोड़ने हेतु संशोधन आवश्यक है।  
  •  संशोधन आधुनिकीकरण  की प्रक्रिया में सहायक है।  
  • इससे संविधान जनता की इच्छा का प्रतिबिम्ब बनता है।  


समस्या -

  • राजनैतिक पार्टिया अपने दलीय स्वार्थ हेतु संशोधन करती है।  
  • न्यायपालिका तथा कार्यपालिका में टकराओ की स्थिति उत्पन्न होती है।केंद्र तथा राज्य सरकारों के मध्य सम्बन्ध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 
  • कभी कभी किसी संशोधन में राज्यों का समर्थन देरी से मिलता है। 


NOTE - व्यवहारतः समवर्ती सूची पर भी केंद्र सरकार ही कानून बनती है। 


निष्कर्ष - संशोधन के द्वारा संविधान प्रगतिशील बना है। सामाजिक , आर्थिक , न्याय को बढ़ावा मिलता है। लेकिन अभी भी सकारात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।  जिससे कि सिद्धांत एवं व्यव्हार में अंतर समाप्त हो। 


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