Translate

Thursday, September 27, 2018

भारत परिचय-1


भारत परिचय-1 


  • भारत देश 29 राज्य तथा 7 केंद्र शासित प्रदेशों का संघ है।
  • भारत का सबसे उत्तरी बिंदु जम्मू कश्मीर का इंदिरा कॉल 37°6' है।
  • भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु ग्रेट निकोबार में स्थित इंदिरा पॉइंट 6°4' है जबकि मुख्य भारतीय स्थल का सबसे दक्षिणी बिंदु कन्याकुमारी 8°4' है।
  • भारत का सबसे पूर्वी बिंदु अरुणाचल प्रदेश में स्थित वालांगू 97°25' है।
  • भारत का सबसे पश्चिमी बिंदु गुजरात में स्थित सरक्रीक 68°7' है।
  • भारत के दक्षिण - पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण  - पूरब में बंगाल की खाड़ी है।
  • भारत के दक्षिण में हिंद महासागर है।


भारत के पड़ोसी देश-

पाकिस्तान-  यह भारत के पश्चिमोत्तर में स्थित है। जम्मू कश्मीर , पंजाब, राजस्थान तथा गुजरात सीमा को छूता है।
अफगानिस्तान -  ये भी भारत के पश्चिमोत्तर में स्थित है । भारत की पाक अधिकृत कश्मीर की सीमा अफगानिस्तान से छूती है।
चीन - यह भारत के उत्तर में स्थित है - जम्मू कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश , उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश सीमा को छूता है।
नेपाल - यह भारत के उत्तर में स्थित है तथा उत्तर प्रदेश और बिहार के ठीक उत्तर में है । यह उत्तराखंड ,उत्तर प्रदेश , बिहार , बंगाल तथा सिक्किम की सीमा को छूता है।
भूटान - भारत के पूर्वी हिस्से में उत्तर में स्थित एक छोटा सा देश है । यह सिक्किम,  पश्चिम बंगाल, असम तथा अरुणाचल प्रदेश की सीमा को छूता है।
म्यामांर - यह भारत का सबसे पूर्वी पड़ोसी देश है।यह और अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड , मणिपुर, मिजोरम की सीमा को छूता है।
बांग्लादेश-  यह भारत के पूर्वी देश है यह पश्चिम बंगाल ,असम, मेघालय , त्रिपुरा , मणिपुर की सीमा को छूता है।
श्रीलंका-  यह भारत के दक्षिण में स्थित है तथा पाक जलडमरूमध्य द्वारा भारत से अलग होता है।
मालदीव-  यह भारत के दक्षिण में स्थित एक छोटा देश है।

द्वीप समूह-


  • अरब सागर में भारत का लक्षद्वीप द्वीप समूह स्थित है जबकि बंगाल की खाड़ी में भारत का अंडमान एवं निकोबार दीप समूह स्थित है।
  • लक्ष्यदीप का सबसे दक्षिणी द्वीप मिनीकॉय लक्षद्वीप के एक अन्य द्वीप एड्रॉट  से 9° चैनल द्वारा अलग होता है
  • मिनीकॉय तथा मालदीव के बीच 8 डिग्री चैनल है
  • अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में प्रमुख 6 द्वीप है -
  • उत्तरीअंडमान - अंडमान निकोबार दीप समूह की सबसे ऊंची चोटी सैडल पीक इसी में स्थित है।
  • मध्य अंडमान-  यह दीप अंडमान एवं निकोबार दीप समूह में सबसे बड़ा है।
  • दक्षिण अंडमान - अंडमान एवं निकोबार दीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर इसी में स्थित है।
  • लिटिल अंडमान
  • कार निकोबार-  लिटिल अंडमान एवं कार निकोबार 10 डिग्री चैनल के द्वारा अलग-अलग होते हैं।
  • ग्रेट निकोबार - भारत का सबसे दक्षिणतम बिंदु इंदिरा पॉइंट या पिग्मिलियन पॉइंट इसी द्वीप में स्थित है।
  • अंडमान एवं निकोबार दीप समूह के उत्तर में स्थित कोको द्वीप म्यांमार देश उत्तरी अंडमान से कोको चैनल द्वारा पृथक होता है।



Sunday, September 23, 2018

भारतीय संविधान CHAPTER - 5 / भारतीय संविधान के स्त्रोत


भारतीय संविधान के स्त्रोत 
भारत का संविधान अनेक देशो के संविधान से मिलकर बना है जिनका विवरण इस प्रकार है।


भारतीय अथवा देसी स्त्रोत -
भारत सरकार अधिनियम - 1909
भारत सरकार अधिनियम - 1919
नेहरू रिपोर्ट - 1928
साइमन कमीशन - 1930
भारत सरकार अधिनियम - 1935
भारत सरकार अधिनियम - 1935  का  भारत के संविधान में सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है। भारतीय संविधान के 350 अनुच्छेद में से लगभग 250 अनुच्छेद ऐसे है जो की भारत सरकार अधिनियम - 1935 से या तो शब्दशः ले लिए गए है अथवा उनमे बहुत थोड़ा परिवर्तन के साथ लिया गया है। इन नियमो में कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार है। -
१. अध्यादेश
२. अनुच्छेद -143
३. तदर्थ नियुक्तियां
४. CAG
५. प्रशासनिक ब्यौरे
६. लोक सेवा आयोग
७. राज्यपाल
८. त्रिसूची प्रणाली
९. आपातकाल

विदेशी स्त्रोत -
भारतीय संविधान में जिन देशो का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है वे इस प्रकार है।  -
ब्रिटेन -
१. संसदीय प्रक्रिया
२. विधि निर्माण प्रक्रिया
३. संसदीय विशेषाधिकार
४. एकल नागरिकता
५. विधि का शासन
६. राष्ट्रपति का अभिभाषण
७. बहुमत प्रणाली
८. विधि के समक्ष समानता

संयुक्त राज्य अमेरिका -
१. राष्ट्राध्यक्ष
२. महाभियोग
३. उपराष्ट्रपति
४. मौलिक अधिकार
५. संविधान की सर्वोच्चता
६. नन्यायलय की स्वतंत्रता
७. समुदायिक विकास कार्यक्रम
८. विधि का सामान संरक्षण
HC / SC के न्यायधीशो को हटाने की प्रक्रिया
१०. संविधान संशोधन में राज्यों का अनुमोदन

कनाडा -
१. संघीय शासन व्यवस्था 
२. राज्यों का संघ (ब्रिटिश नार्थ अमेरिका अधिनियम)
३. राज्यपाल , राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त पद 
४. राज्य्पाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारार्थ विधेयक को प्रारक्षित करने का अधिकार 

ऑस्ट्रेलिया - 
१. समवर्ती सूची 
२. प्रस्तावना में प्रयुक्त भाषा 
३. उद्देशिका में निहित भावनाएं

दक्षिण अफ्रीका -
१. संविधान संशोधन की प्रक्रिया 

आयरलैंड -
१. राष्ट्र के नीतिे निदेशक तत्त्व 
२. राष्ट्रपति का निर्वाचन प्रणाली 
३. राज्यसभा में सदस्यों का मनोनयन 

फ्रांस -
१. गणतांत्रिक व्यवस्था 
२. वयोवृद्ध सदस्यों का उचित स्थान 

सोवियत संघ रूस -
१. मूल कर्तव्य 
२. पंचवर्षीय योजना 

जर्मनी -
१. आपातकाल में मूल अधिकारों का निलंबन 

जापान -
१. विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया 

स्विट्ज़रलैंड -
१. सामाजिक नीतियों के सन्दर्भ में निति निदेशक तत्वों का उपबंध 

छठी शताब्दी ईसापूर्व-2


छठी शताब्दी ईसापूर्व-2

शूरसेन-


  • शूरसेन की राजधानी मथुरा थी। इसका प्रमुख शासक अवंतिपुत्र था।
  •  यूनानी ग्रंथों में शूरसेन को सूरसेनोह तथा मथुरा को मिथौरा कहां गया।


वत्स-


  • वत्स की राजधानी कौशांबी थी।
  • यहां पोरव वंश का शासन था। तथा इसका प्रमुख शासक उदयन था।
  • उदयन ने बौद्ध भिक्षु पिंडोला के प्रभाव में आकर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया।
  • कालिदास कृत स्वप्नवासवदत्ता मैं उदयन और वासवदत्ता की प्रेम कथा का वर्णन है। वासवदत्ता चंदप्रद्योत की पुत्री थी
  • वक्त से गंधिको के सिक्के प्राप्त हुए हैं। गंधिक इत्र बनाने वाले कारीगरों को कहा जाता था।
  • मगध नरेश शिशुनाग ने वत्स को जीतकर मगध में मिला लिया।


काशी-


  • काशी की राजधानी वाराणसी थी।
  • शासक ब्रम्हदत्त अपने कौशल का कुछ हिस्सा छीन लिया था। तत्पश्चात कालांतर में कौशल नरेश कंस( महाभारत वाला नहीं) ने संपूर्ण काशी को अपने अधीन कर लिया।
  • उसके बाद कौशल नरेश प्रसेनजित ने अपनी बहन महाकौशला का विवाह मगध नरेश बिंबिसार से किया और काशी मगध को दहेज में दे दिया। अजातशत्रु ने जब बिंबिसार की हत्या की तो काशी को कौशल ने छीन लिया। अजातशत्रु ने प्रसेनजीत पर हमला कर उसे हरा दिया। प्रसेनजीत ने अपनी पुत्री वाजिरा का विवाह अजातशत्रु से किया तथा पुनः काशी मगध को दहेज में दे दी।


मगध-


  • मगध की प्रारंभिक राजधानी राजगृह/ गिरिव्रज थी।
  • उदायिन ने राजधानी पाटलिपुत्र बनाई।
  • शिशुनाग ने राजधानी वैशाली को बनाया।
  • कालाशोक ने पुन: पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया।


अंग-


  • अंग की राजधानी चंपा थी तथा यहां का प्रमुख शासक ब्रम्हदत्त था।
  • चंपा तत्कालीन समय का सबसे अधिक सुनियोजित विकसित नगर था। जिसे यहां के वास्तुकार महागोविंद ने बनाया था।


पांचाल-


  • उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र थी। तथा दक्षिणी पांचाल की राजधानी कांपिल्य थी।


कोसल -


  • उत्तरी कोशल की राजधानी श्रावस्ती( आधुनिक नेपाल श्रावस्ती फैजाबाद का क्षेत्र) तथा दक्षिणी कोशल की राजधानी कुशावती थी।
  • श्रावस्ती की पहचान आधुनिक सहेत-महेत नामक स्थान से की जाती है।
  • श्रावस्ती का नगर विन्यास अर्धचंद्राकार था।
  • श्रावस्ती के प्रमुख शासक कंस, उसका पुत्र महाकौशल, कथा महाकौशल का पुत्र प्रसेनजीत था।
  • प्रसेनजित बुद्ध के समान आयु का था तथा बुद्ध से उसके मित्रवत संबंध थे।


वज्जि -


  • वज्जि की राजधानी वैशाली थी। जिसकी पहचान आधुनिक बसाढ़ नामक स्थान से की जाती है।
  • वज्जि आठ संघो का समूह था।
  • यहां गणतांत्रिक राजव्यवस्था थी।


मल्ल -


  • मल्ल की राजधानी पावा तथा कुशीनगर थी।


चेदि -


  • चेदि की राजधानी सूक्तिमति/ शक्तिमती/ सोत्थीवती थी।
  • चेदि आधुनिक बुंदेलखंड का क्षेत्र था।
  • यहां का प्रमुख शासक शिशुपाल था जिसका श्री कृष्ण ने वध किया था।


अवंति -


  • उत्तरी अवंति की राजधानी उज्जयनी थी। जबकि दक्षिणी अवंती की राजधानी महिष्मति थी।
  • अवंति में प्रद्योत वंश का शासन था तथा इसका प्रमुख शासक चंद्र प्रद्योत था।
  • चंद्र प्रद्योत को बौद्ध धर्म में महाकच्चायन ने शिक्षित किया।
  • चंद्रप्रद्योत को गांधार शासक पुष्करसारिन ने हराया था।
  • चंद्र प्रद्योत की पुत्री वासवदत्ता का विवाह मगध शासक उदायिन से हुआ।
  • अवंती में भी मगध की तरह लोहे की खाने थी।
  • शिशुनाग ने अवंती का विलय मगध में किया।


मत्स्य -


  • मत्स्य की राजधानी विराटनगर थी।
  • यह राजस्थान में एकमात्र महाजनपद था।


अश्मक-


  • अश्मक की राजधानी पोटल/ पोटला/ पोटली/ पैठण थी।
  • भारत का एकमात्र महाजनपद है जो कि आंध्र प्रदेश में गोदावरी (प्रवरा) नदी के तट पर था।






    

छठी शताब्दी ईसापूर्व-1



छठी शताब्दी ईसापूर्व-1


छठी शताब्दी ईसा पूर्व भारत में कुल 16 महाजनपद थे अतः इसे महाजनपद काल भी कहते हैं।
इसे महापरिवर्तन काल भी कहा जाता है क्योंकि इस काल में निम्न क्षेत्र में परिवर्तन हुए-

राजनीतिक क्षेत्र में-

  1. ऋग्वेद कालीन जन उत्तर वैदिक काल में जनपद में बदल गए तथा छठी शताब्दी ईसापूर्व तक यह जनपद महाजनपद में बदल गए। और यहां से साम्राज्य की नींव पड़ी।
  2. इसी समय 10 गणतंत्र राज्यों का भी उद्धार हुआ।
  3. इसी समय मगध का उत्कर्ष हुआ और मगध एक महान साम्राज्य के रूप में उभरकर सामने आया।



आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन -


  1. व्यापार तथा वाणिज्य की पर्याप्त जानकारी
  2. मुद्रा का प्रचलन
  3. श्रेष्ठी( व्यापारिक समूह की जानकारी)
  4. राज्य द्वारा व्यापारियों को संरक्षण
  5. व्यापारियों द्वारा राजाओं की मदद
  6. इन सब कारणों से जनपद आर्थिक विकास हुआ तथा वह महाजनपद बने।



द्वितीय नगरीकरण-


  • गंगा नदी घाटी के किनारे महाजनपदों (महानगरों) का उद्भव हुआ।



सांस्कृतिक क्षेत्र में परिवर्तन-


  1. वैदिक काल के अंत आते आते हैं उसमें कुरीतियों का स्थान बढ़ता गया तथा यज्ञ में पशु बलि , अनेकेश्वरवाद , तथा अन्य पाखंड बढ़ने लगे थे जिसका कि महाजनपद काल में बड़ी मात्रा में विरोध हुआ।
  2. बौद्ध तथा जैन धर्म का उद्भव हुआ।



सामाजिक परिवर्तन-


  • वैदिक कालीन कर्म प्रधान परंपरा अब जातिवाद का रूप लेने लगी। छुआछूत की व्यवस्था स्थापित होने लगी।



विदेशी आक्रमण-


  1. सर्वप्रथम ईरानियों( फारसियों) कहां आक्रमण हुआ।
  2. दूसरा आक्रमण सिकंदर के रूप में यूनानियों का हुआ।


उपर्युक्त परिवर्तनों को देखते हुए इस काल को महापरिवर्तन काल भी कहा गया है।

16 महाजनपद-

16 महाजनपदों का साक्ष्य  बौद्ध ग्रंथ के अंगुत्तर निकाय तथा जैन ग्रंथ भगवती सूत्र से मिलते हैं।

यह 16 महाजनपद निम्नवत है-

  1. कंबोज
  2. गांधार
  3. कुरू
  4. पांचाल
  5. कोसल
  6. वज्जि
  7. मल्ल
  8. शूरसेन
  9. मत्स्य
  10. चेदि
  11. अवंति
  12. काशी
  13. मगध
  14. अंग
  15. अश्मक
  16. वत्स


कंबोज-


  • इसकी राजधानी राजपुर/ हाटक थी।
  • यह आधुनिक पाकिस्तान के हजारा और राजौरी वाला क्षेत्र है।
  • चाणक्य ने अपनी अर्थशास्त्र में यहां के लोगों के लिए वार्ताशस्त्र्योपजीवी शब्द का प्रयोग किया है। जिसका अर्थ है शस्त्रों के व्यापार पर आधारित जीवन।
  • कंबोज अच्छे नस्ल के घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था।


गांधार-


  • गांधार की पूरी राजधानी तक्षशिला तथा पश्चिमी राजधानी पुष्कलावती थी। इनमें तक्षशिला प्रमुख थी। तथा पुष्कलावती की पहचान आधुनिक चारसद्दा से की गई है।
  • गंधार का प्रसिद्ध शासक पुष्कर सरीन था। जिसने अवंति नरेश चंद प्रद्योत को हराया था। मगध नरेश बिंबिसार ने इस के दरबार में अपना एक दूत मैत्री संबंध के लिए भेजा था
  • तक्षशिला की स्थापना भरत के पुत्र तक्ष ने की थी।
  • तक्षशिला छठी शताब्दी ईसापूर्व के एक महान शिक्षा का केंद्र था जो कि विश्वविख्यात विश्वविद्यालय था।


कुरू -


  • कुरु जनपद की राजधानी हस्तिनापुर थी जोकि आधुनिक मेरठ का क्षेत्र है।
  • यहां का प्रसिद्ध शासक कोरव्य था।
  • हस्तिनापुर जब बाल से डूब गया तो यहां के शासक चक्षु ने कौशांबी को अपनी नई राजधानी बनाई।






    

Wednesday, September 12, 2018

हडप्पा कालीन नगर - 2


हडप्पा कालीन नगर - 2 

चन्हूदड़ो -


  • यह नगर पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में सिंधु नदी के तट पर पाया गया है। 
  • इसकी खोज सं 1931 में NG मजूमदार ने तथा बाद में विस्तृत जानकारी सं 1935 में मैके ने प्राप्त की। 
  • यह नगर झूकर झांगर संस्कृति का अंग था। 
  • यह से कोई भी टीला दुर्गीकृत नहीं पाया गया। 
  • यह मनका बनाने के कारखाने प्राप्त हुए है जो लोथल से बड़े है। 
  •  लिपस्टिक , कंघा , इत्र प्राप्त हुआ है।  जो की सौंदर्य प्रसाधन का प्रतीक है। 
  • यह से वक्राकार ईंटे पायी गयी है जिनमे से एक में कुत्ते द्वारा बिल्ली का पीछा करने के पैरो के निशान प्राप्त है।  

कालीबंगा -


  • राजस्थान के गंगानगर जिले में घघ्घर नदी के तट पर खोजा गया है।  
  • इसको सं 1957 में अमलानंद घोष ने तथा बाद में सं 1960 में BK  खोजा। 
  • कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ है - काले रंग की चूड़ियां। 
  • इस नगर के दोनों टीले  अलग अलग रक्षा  प्राचीर से घिरे थे। 
  • यह से प्राप्त एक मिटटी की पट्टिका में एक ओर सव्वंग युक्त देवता और दूसरी ओर मनुष्य और बकरी के चित्र प्राप्त हुए है। 
  • यह से जुते खेत प्राप्त हुए है तथा चना , सरसो आदि के अवशेष प्राप्त हुए है जो की प्राक हड़प्पा कालीन है। 
  • 7 अग्नि कुंड प्राप्त है। 
  • यह के एक बच्चे की खोपड़ी प्राप्त हुई है जिसमे 6 छेद है जो की शल्य चिकित्सा के प्रमाण है। 
  • यह के प्राप्त अन्य वस्तुओ में अलंकृत ईंट , कच्चे घर , ऊँट की हड्डिया। 
  • इस नगर का पतन भूकंप के कारण हुआ था। 

धौलावीरा -



  • यह नगर गुजरात के भचाऊ जिले के खदिर द्वीप के उत्तरी भाग में खोजा  गया है। 
  • यह एक आयताकार नगर है।  
  • इस नगर की खोज सं 1967-68 में जगपति जोशी ने की थी। जबकि इसका उत्खनन सं 1990 में प्रारम्भ हुआ। 
  • यह नगर तीन भागो में विभक्त था।  पूर्वी तथा पश्चिमी टीले के मध्य मध्यमा टीला भी पाया गया है। 
  • इस नगर से स्टेडियम के साक्ष्य भी प्राप्त हुए है।  
  • इस नगर से एक नेम प्लेट भी प्राप्त हुआ जिस पर 10 अक्षर लिखे हुए है।
  • इस नगर के 30%भूभाग पर बड़े तालाब है तथा 2 नहरे भी है जो की जल प्रबंधन की उच्च कोटि की व्यवस्था को दर्शाता है। 
  • यह से प्राप्त जलकुंड शैलकृत स्थापत्य का नमूना है। 


बनवाली -


  • यह नगर हरियाणा के हिसार जिले में खोजै गया है। 
  • इस  नगर की खोज सं 1973 में R.S.बिष्ट ने की थी। 
  • यह से अच्छे किस्म के जौ  के साक्ष्य मिले है। 
  • मिटटी के बने हल की आकृति प्राप्त हुई है। 
  • यह से जल निकास की अव्यवस्थित प्रणाली प्राप्त हुई है। 



भारत में खोजे गए अन्य स्थल 

मांडा - 


  • यह जम्मू कश्मीर में खोजा गया है। 
  • यह इस सभ्यता का सबसे उत्तरी स्थल है। 
  • यह चिनाव नदी के तट पर बसा था। 

रोपड़ (पंजाब)- 


  • स्वतंत्रता के बाद पहला उत्खनित स्थान है। 
  • इसका आधुनिक नाम रूपनगर है। 
  • यह से मालिक के साथ कुत्ते को दफनाने के साक्ष्य मिले है। 


दधेरी (पंजाब)-


  • यह परवर्ती हड़प्पा कालीन स्थल था।  

संघोल (पंजाब)-


  • यह से ताँबे की छेनिया प्राप्त हुई है। 
  • यह से वृत्ताकार अग्निकुंड के साक्ष्य मिले है 

राखीगढ़ी (हरियाणा)- 


  • भारत में खोजा गया हड़प्पा काल का सबसे बड़ा स्थल है।  

कुणाल (हरियणा)- 


  • यह से चांदी के दो मुकुट मिले है। 

सनौली (बागपत , उत्तर प्रदेश)-

  • यह से 125 समाधिया मिली है। 
  • यह से जानवरो की हड्डिया मिली है। 

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से खोजे गए स्थल -

बड़ागाव  
हुलास 
अम्बाखेड़ा 
सकतपुर - यह सं 2017 में खोजा गया नवीनतम स्थल है। 

उत्तर प्रदेश के मेरठ से खोजे गए स्थल - 

आलमगीरपुर - यह हिंडन नदी के तट पर बसा था। तथा इस सभ्यता का सबसे पूर्वी स्थल है। 
हस्तिनापुर 
भगवानपुरा 

सुरकोतड़ा (गुजरात)-

  • यह कच्छ की खाड़ी  के क्षेत्र में खोजा गया है। 
  • यह से घोड़े का कंकाल प्राप्त हुआ है। 
  • इस नगर के दोनों टीले एक ही प्राचीर से घिरे हुए थे। 
  • इसका पतन भूकंप से हुआ। 

रंगपुर (गुजरात)-

  • यह स्थल अहमदाबाद के काठियावाड़ क्षेत्र (सौराष्ट्र) में खोजा  गया है। 
  • यह भादर नदी के तट पर बसा था। 
  • यह से धान की भूसी प्राप्त हुई है। 

दैमाबाद (महाराष्ट्र)-


  • यह सबसे दक्षिणी स्थल है। 
  • यह स्थल नगर अहमदनगर जिले में गोदावरी की सहायक प्रवरा नदी के तट पर बसा था। 



पाकिस्तान में खोजे गए स्थल -

गनेरीवाला (पंजाब)-


  • यह क्षेत्रफल की दृष्टि से इस सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल था। 

सिन्ध प्रान्त में खोजे गए स्थल -

कोटदीजी - यह से अलंकृत खम्भा , तथा पत्थर के तीर मिले है। 
आमरी - यह से बारहसिंघा के साक्ष्य मिले है।  
अलीमुराद - यह हड़प्पा सभ्यता का एकमात्र ग्रामीण स्थल था। 
जदिरदड़ो - यह से स्टेडियम के साक्ष्य मिले है। 
अल्लादिनो - यह स्थल अरब सागर तथा सिंधु नदी के तट पर बसा बन्दरगाही नगर था। 


बलूचिस्तान में खोजे गए स्थल -

नौसारो - यह से सिंदूर के साक्ष्य मिले है। 
बालाकोट - यह से सीप  उद्योग के साक्ष्य मिले  है। 
सोत्काकोह - शादीकौर नदी के तट पर बसा था। 
सुतकागेंडोर 

हड़प्पा कालीन आर्थिक जीवन


हड़प्पा कालीन आर्थिक जीवन -


  1. हड़प्पा कालीन आर्थिक जीवन को निम्न भागो के आधार पर व्यक्त किया जाता है -
  2. कृषि
  3. पशुपालन
  4. शिल्प व् उद्योग धंधे
  5. मुहरे
  6. लिपि
  7. व्यापार तथा वाणिज्य


कृषि -


  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग सिंधु व इसकी सहायक नदियों के किनारे  उपजाऊ भूमि में खेती करते थे।
  • फसल - ये लोग नवंबर में  बोकर मार्च में काटते थे। अर्थात रवी की फसल उगाते थे।
  • मुख्य फसले - इनकी मुख्य नौ फसले थी - १. गेंहू  २. जौ  ३. कपास   ४. तरबूज  ५. मटर   ६. राइ   ७. सरसो  ८. खरबूजा   ९. तिल
  • रागी , ज्वार तथा कोदी के साक्ष्य गुजरात के रोजदी से प्राप्त हुए है।
  • बाजरे के साक्ष्य लोथल से प्राप्त हुए है।


पशुपालन -

  • महत्व - पशुपालन का विशेष प्रयोग कृषि ,  परिवहन, क्रय -विक्रय, तथा भोजन आदि के लिए करते थे।
  • जनकरी - गाय , बैल, भैंस , बकरी , कुत्ता , बिल्ली, ऊंट , हाथी , व्याघ्र , बारहसिंघा , आदि।
  • गाय , ऊंट तथा घोडा का अंकन मुहरों नहीं मिलता है।
  • घोडा के साक्ष्य तीन स्थानों से प्राप्त हुए है। -
  • १. सुरकोतड़ा - यह से घोड़े का कंकाल प्राप्त हुआ है।
  • २. लोथल -  घोडे का जबड़ा प्राप्त हुआ है।
  • ३. रानागुंडई -  यह से दन्त प्राप्त हुए है।
  • प्रमुख पशु - इस सभ्यता के लोगो का प्रमुख पशु एक सींघ वाला बैल था।
  • सिंह का अंकन सिंधु सभ्यता की मुहर में नहीं जबकि मेसोपोटामिया की सभ्यता में है।


उद्योग -


  • कपड़ा उद्योग - यह हड़प्पा वासियो का प्रमुख उद्योग था।
  • मृदभांड (बर्तन) - ये लोग मिटटी तथा धातु से बने बर्तन का निर्माण करते थे। इनके बर्तन चाक तथा हाथ दोनों से निर्मित होते थे। बर्तनो की रंगाई में लाल रंग का प्रयोग किया जाता था। कुछ बर्तनो पर काले रंग की पुष्पकर ज्यामितीय भी प्राप्त हुई है।
  • मनका उद्योग - मिटटी , गोमद , फिरोजा , लाल पत्थर , चांदी तथा सोने के बने मनको का प्रयोग  होता था। मनके बनाने के कारखाने के साक्ष्य लोथल तथा चन्हूदड़ो से मिले है।
  • सीप उद्योग - लाथल तथा बालकोट से सीप उद्योग के साक्ष्य मिले है।


व्यापर एवं वाणिज्य -


  • कश्मीर ,  कोलार , काठियावाड़ तथा बलूचिस्तान से अंतराज्यीय व्यापर था।
  • सुमेरिया (मेसोपोटामिया) , मिस्र , फारस खाड़ी , तथा अफगानिस्तान एवं ईरान क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय व्यापर के साक्ष्य मिलते है।
  • सुमेरिया से मुहरे , संस्कृति , तथा कला का आदान - प्रदान  साक्ष्य प्राप्त हुए है जो की विकसित व्यापर का उदहारण है।
  • गुजरात से मिस्र की ममी का मॉडल प्राप्त हुआ है।  जो की इस सभ्यता के मिस्र से व्यापारिक सम्बन्धो को दर्शाता है किन्तु बीच अल्प  व्यापर के साक्ष्य मिले है।
  • फारस की खाड़ी से प्राप्त सारगोन का अभिलेख जिसमे की बहरीन, बलूचिस्तान , तथा सिंधु घाटी के नामो का जिक्र आया है जो की हड़प्पा सभ्यता के सम्बन्ध को फारस के साथ दर्शाता है।
  • नोट - बहरीन के उपनाम - १. सूर्योदय का देश २. साफ सुथरे नगरों का देश  ३. हाथियों का देश।
  • ये लोग मुख्यतः लाजवर्दी , मणि, चांदी , फ़िरोज़ा तथा सीसा अदि वस्तुए अफगानिस्तान तथा ईरान के आयात करते थे।
  • सीप के बने सामान , हाथी दन्त के बने पैमाने , वस्त्र तथा मनके अन्य देशो को निर्यात करते थे।


मुहरे -


  • 2500मुहरे हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त हुई है।  जिनमे से 1200 से अधिक मोहेंजोदड़ो से  प्राप्त हुई है। मोहेंजोदड़ो से प्राप्त सभी मुहरे वर्गाकार है। 
  • सर्वाधिक अभिलेखीय मुहरे हड़प्पा  से प्राप्त हुई है। 
  • ये मुख्यतः सेलखड़ी से बनी थी। साथ ही कांचली , मिटटी , गोमद से बनी मुहरे भी प्राप्त हुई है। 
  • आयताकार, वर्गाकार , तथा बेलनाकार मुहरे प्राप्त हुई है। सबसे अधिक वर्गाकार मुहरे प्राप्त हुई है। 
  • ये मुहरे लिपिक है जिनमे पशुछाप , पछि छाप , तथा पेड़ पौधों आदि की छाप का प्रयोग किया गया है। 


लिपि -


  • हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है। 
  • इस लिपि की सर्वप्रथम जानकारी सं 1853 में हुई। 
  • इसकी संपूर्ण जानकारी सं 1923 में तक प्राप्त हो सकी। 
  • इस लिपि में कुल 64 चिन्ह है। 
  • चित्राक्षर - 250 से 400 अक्षर है।  अंग्रेजी के U आकर का सर्वाधिक प्रयोग किया गया है। मछली चित्र का भी प्रयोग किया गया है। 
  • इस लिपि को गोत्रिका या ब्रोस्टोफेनडम कहते है। 
  • इस लिपि को दाएं से बाएं , फिर बाएं से दाएं , फिर दाएं से बाये इस प्रकार लिखा जाता है। 


परिवहन -


  • जलमार्ग - जलमार्ग के लिए प्रमुख बंदरगाह थे लोथल , मेघम , भागतराव ,तथा बालाकोट। 
  • स्थलमार्ग - ये लोग स्थलमार्ग में मुख्यतः ताम्बे की इक्का गाड़ी तथा बैलगाड़ी का  प्रयोग करते थे। 

हड़प्पा कालीन समाज


हड़प्पा कालीन समाज -


हड़प्पा कालीन नगर नियोजन -


  • घरों के दरवाजे सड़कों पर नहीं बल्कि गलियों में खुलते थे। किंतु इसका अपवाद लोथल में देखने को मिलता है।
  • हड़प्पा कालीन नगर आयताकार या वर्गाकार थे।
  • प्रत्येक घर में कुआं स्नानागार और रसोईघर होता था।
  • घर दो से तीन मंजिल तक होते थे।


हड़प्पा कालीन सामाजिक पक्ष -

हड़प्पा कालीन सामाजिक पक्ष को जानने के लिए हम विषय निम्नलिखित पांच भागों में विभाजित करके जानने का प्रयास करेंगे। -
समाज
स्त्रियों की दशा
खानपान
वेशभूषा
मनोरंजन


समाज -

हड़प्पा कालीन समाज निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित था।
विशिष्ट वर्ग - इस वर्ग के अंतर्गत पुरोहित प्रशासनिक अधिकारी आदि को सम्मिलित किया जाता था।
मध्यमवर्ग  - इस वर्ग के अंतर्गत व्यापारी कारीगर शिक्षक तथा किसानों को सम्मिलित किया जाता था।
कमजोर वर्ग - इस वर्ग के अंतर्गत मजदूरों तथा दासों को सम्मिलित किया जाता था।

हड़प्पा कालीन समाज में निम्नलिखित चार प्रजातियां पाए जाने के संदेश मिलते हैं -
अल्पाइन
भूमध्यसागरीय (जो कि सबसे अधिक थे)
प्रोटो आस्ट्रेलायड
मंगोलायड

स्त्रियों की दशा -


  • हड़प्पाकालीन समाज मातृ प्रधान समाज था यहां पर शक्ति तथा उर्वरता के रूप में स्त्री की पूजा की जाती थी ।
  • हड़प्पा कालीन सभ्यता से सती प्रथा के भी साक्ष्य मिले हैं।
  • लोथल से 3 युग्मित समाधियां प्राप्त हुई हैं।
  • कालीबंगा से कई युग्मित समाधियां प्राप्त हुई हैं।


खानपान -

हड़प्पाकालीन लोग शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों ही थे।

वेशभूषा -


  • हड़प्पा कालीन लोग सूती तथा ऊनी दोनों प्रकार के वस्त्रों का प्रयोग करते थे।
  • सूती शॉल के साक्ष्य मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए हैं।
  • हड़प्पाकालीन लोग मुख्यतः सोना, चांदी ,मणिक
  •  हाथी दांत, शंख ,सीप, तथा मिट्टी के आभूषणों का प्रयोग करते थे।


मनोरंजन के साधन -

हड़प्पा कालीन लोग मुख्यतः शिकार खेलना, मछली पकड़ना,, पशु पक्षियों को लड़ाना, चौपाल और पासा खेलना, ढोल मंजीरे बजाना, तथा नृत्य व गीत आदि से अपना मनोरंजन करते थे।

हड़प्पा कालीन धार्मिक जीवन -


  • हड़प्पा कालीन लोग मातृदेवी की पूजा करते थे।
  • यह लोग पशुपति देव की भी पूजा करते थे। जिसके साक्ष्य मोहनजोदड़ो की मुहरों में मिलते हैं।
  • इस सभ्यता के लोग वृषभ पूजा भी करते थे। जिसमें वे मुख्यतः एक सींग वाला बैल की पूजा विशेष रुप से करते थे इसके साक्ष्य मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए हैं।
  • यहां के लोग जल पूजा, अग्नि पूजा, वृक्ष पूजा, पशु पूजा, तथा नाग पूजा भी करते थे।


हड़प्पाकालीन सभ्यता का पतन -


  • इस सभ्यता का पतन कई वर्षों के निरंतर विकसित होती गई संस्कृति विकास के क्रम में पाया जाता है। जैसे की नगरी विकास के लक्षणों का धीरे-धीरे अंत होने लगा।
  • चौड़ी सड़कें तंग गलियों में बदल गई।
  • पूर्व के नियोजित घरों का स्थान बेतरतीब घरों ने ले लिया।
  • घर के अंदर के बड़े आंगन छोटे-छोटे आंगनों में बदल गए तथा आंगन में पतली दीवारें उठ गई।
  • पक्की ईंटों का प्रयोग के स्थान पर पुरानी ईंटों का प्रयोग होने लगा।
  • बहावलपुर क्षेत्र में 174 बस्तियों में से 50 बस्तियां रह गई।
  • हड़प्पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल से बस्तियां पूर्वी क्षेत्रों( उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात) मैं जाने लगी।
  • मेसोपोटामिया सभ्यता में भी सन 1900 BC के बाद 

भारतीय संविधान CHAPTER - 4 / संविधान की उद्देशिका अथवा प्रस्तावना



भारतीय संविधान की उद्देशिका अथवा प्रस्तावना 

नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य संकल्प में जो आदर्श प्रस्तुत किया गया उन्हें ही संविधान की उद्देशिका में शामिल किया गया है। संविधान के 42वे संशोधन (1976) द्वारा यथा संशोधित यह उद्देशिका निम्न प्रकार है। 

"हम भारत के लोग , भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न , समाजवादी , पंथनिरपेक्ष , लोकतंत्रात्मक , गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिको को ;  सामाजिक , आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार ,  अभिव्यक्ति , विश्वास , धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा तथा अवसर की समानता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई० (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी सम्वत दो हज़ार छह विक्रम) को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत , अधिनियमित और आत्मार्पित करते है। ''

संविधान की मुख्य बाते -

  • प्रस्तावना संविधान का आमुख / मुख्य पृष्ठ है जो की संविधान की प्रकृति का परिचय देता है। 
  • प्रस्तावना के अनुसार संविधान के अधीन समस्त शक्तियों का केंद्रबिंदु अथवा स्त्रोत भारत के नागरिक है। 
  • संविधान के 42वे संशोधन (1976) द्वारा इसमें समाजवाद , पंथनिरपेक्ष , तथा अखण्डता शब्द जोड़े गए। 
  • प्रस्तावना में समाजवाद रखने का मामला K.T. शाह ने उठाया। 



प्रस्तावना के सम्बन्ध में विचरको के मत -



  • प्रस्तावना देश की राजनीतिक कुंडली है।  - K.M. मुंशी 
  • प्रस्तावना संविधान की आत्मा है।  - भार्गव 
  • प्रस्तावना संविधान की कुंजी है।  - बार्कर 

NOTE - सामान्य दशा में प्रस्तावना कको ही संविधान की आत्मा मन जाता है।  किन्तु B.R. अम्बेडकर ने अनुच्छेद - 32 को संविधान की आत्मा कहा है। 


व्यक्तियों के लिए प्रस्तावना की मूल्यात्मक अवधारणा -



  • स्वतंत्रता - विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास , धर्म , उपासना की स्वंत्रता।  
  • समानता - प्रतिष्ठा तथा अवसर की समानता। 
  • न्याय - सामाजिक, आर्थिक , तथा राजनैतिक न्याय। 
  • बंधुत्व - व्यक्ति की गरिमा तथा एकता सुनिश्चित करता है। 
  • अत; यह एक आदर्श व्यवस्था है जो की संविधान का दर्शन भी है। 



राज्य के लिए अवधारणा -



  • सत्ता का ज्ञान - जनता सर्वोपरि है। 
  • राष्ट्र की प्रकृति - संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्र , तथा गणराज्य। 
  • राज्य का उद्देश्य - जन कल्याण की भावना। 



संविधान से सम्बंधित प्रमुख तिथियां  - 



  • संविधान को स्वीकार किया गया - 26 Nov. 1949
  • संविधान को लागू किया गया - 26 Jan. 1950 
  • संविधान सभा की पहली बैठक - 9 Dec. 1946 (सच्चिदानन्द सिन्हा को अस्थाई अध्यक्ष चुना गया।)
  • संविधान सभा की दूसरी बैठक - 11 Dec. 1946 (राजेंद्र प्रसाद को स्थाई अध्यक्ष चुना गया।)
  • संविधान सभा की तीसरी बैठक - 13 Dec. 1946 (उद्देश्य प्रस्ताव रखा गया)
  • संविधान सभा में प्रस्ताव पारित होने की तिथि - 22 Jan. 1947



प्रस्तावना संविधान का अंग है या नहीं- 

1. बेरुवारी यूनियन वाद (1960)- इसके निर्णय के अनुसार प्रस्तावना को संविधान का अंग नहीं माना गया।  

2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)- इसके निर्णय के अनुसार प्रस्तावना को संविधान का अंग माना गया। 
3. S.R. बोम्बाई वाद (1994)- इसके निर्णय के अनुसार प्रस्तावना को संविधान का अंग माना गया। 

प्रस्तावना में संशोधन सम्बन्धी वाद - 

अपीलार्थी पक्ष का मानना था की - प्रस्तावना संविधान की आत्मा है अत: संशोधन से संविधान की प्रकृति नष्ट हो जायगी। 
सरकार पक्ष का मानना था की - प्रस्तावना संविधान का अंग है अत: संशोधन कर सकते है। 
न्यायलय का निर्णय - प्रस्तावना में संशोधन हो सकता है किन्तु मूल ढांचा नष्ट नहीं होना चाहिए। 

विश्लेषण -

 महत्व - 


  • प्रस्तावना नागरिको को स्वंत्रता का आश्वासन देता है। 
  • प्रतिष्ठा तथा अवसर की समानता की बात करता है। 
  • प्रस्तावना संविधान का दर्शन है। 
  • यह सरकार का मार्गदर्शक है। 
  • सामाजिक , राजनैतिक एवं आर्थिक आधार पर परिभाषित व्यक्ति एवं सरकार के सम्बन्ध को मजबूत करता है। 

समस्या -



  • राजनैतिक पार्टिया अपने निजी स्वार्थ हेतु संशोधन करती है। 
  • प्रस्तावना का कोई क़ानूनी महत्व नहीं है। 
  • विधायिका तथा कार्यपालिका में सम्बन्ध कठोर होते है।  

Monday, September 3, 2018

सिंधु घाटी सभ्यता - 2 / उत्पत्ति, नगर

                                  

 उत्पत्ति -

सिंधु घाटी सभ्यता की उत्पत्ति एवं विकास को लेकर विद्वानों का अलग अलग मत है- 
१. विदेशी उत्पत्ति का मत 
२. देशी उत्पत्ति का मत 


विदेशी उत्पत्ति का मत - इस मत के अनुसार हड़प्पा सभ्यता की उत्पत्ति मेसोपोटामिया की सभ्यता के विस्तार स्वरुप हुई थी। इस मत के समर्थन करने वाले विद्वानों में जॉन मार्शल , क्रेमर , H.D. सांकलिया प्रमुख है।KNOW MORE  



देशी उत्पत्ति का मत (क्रमिक विकास) - इस मत को मानने वालो में भी  अलग अलग मत है - 
१. ईरानी - बलूचिस्तान सभ्यता का विकास 
इस मत के प्रमुख पक्षधर विद्वान फेयर सर्विसव तथा रोमिला थापर है।  
२. सोथी संस्कृति का विकास - 
इस मत के प्रमुख पक्षधर विद्वानों में अम्लानन्द घोष , आल्चिन दम्पति तथा D.P. अग्रवाल है। 
नोट - साथी संस्कृति की खोज सं 1953 में अमलानंद घोष ने राजस्थान में की थी। 

ड़प्पा कालीन नगर
 सिंधु घाटी सभ्यता को प्रथम नगरीय सभ्यता कहते है तथापि इसमें खोजे गए 1400 से अधिक स्थलों में केवल 7 स्थलों को ही नगर की संज्ञा दी गयी है।  जो  निम्न है - 

१. हड़प्पा 

२. मोहनजोदड़ो 

३. लोथल 

४. धौलावीरा 

५. कालीबंगा 

६. चन्हूदड़ो 

७. बनवाली 


नोट - सभी नगर दो भागो में बटे थे - 
. पूर्वी टीला - नगर 
२. पश्चिमी टीला - यह दुर्ग या गढ़ी था जहां उच्च वर्ग के लोग रहते थे।  KNOW MORE


हड़प्पा - 



  • यह नगर पकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मांटगुमरी जिला (आधुनिक शाहीवाल) में स्थित था।  
  • यह रावी नदी के बाये तट पर बसा था।  
  • पश्चिमी टीला दुर्ग से घिरा था।  जिसे AB टीला नाम दिया गया  है।  
  • AB टीले के उत्तर में F टीला पाया गया।  जिसमे अन्नागार (दी पंक्तियों में 6+6=12) , 15 श्रमिक आवास , 18 वृत्ताकार चबूतरे मिले है। 
  • गेहूं व जौ के दाने के साक्ष्य मिले है। 
  • AB टीला से लकड़ी की कब्र मिली है जिसे R-37 नाम दिया गया है। 
  • इस नगर के खोज से सम्बंधित व्यक्ति -
  1.  निदेशक - जॉन मार्शल 
  2. उत्खननकर्ता - दयाराम साहनी 
  3. सहायक - माधवस्वरूप वत्स 
  • यह नगर सन 1921 में खोजा गया। 
  • नगर क्षेत्र से ताम्बे की इक्कागाड़ी तथा सर्वाधिक अभिलेखी मुहरों के साक्ष्य मिले है। 

मोहनजोदड़ो -


  • नगर पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के लरकाना जिले में पाया गया।  
  • यह सिंधु नदी के दाएं तट पर बसा है। 
  • 1922 में राखालदास बनर्जी द्वारा इसे उत्खनित (खोजा) किया गया। 
  • जॉन मार्शल के अनुसार यह नगर सात बार बाढ़ के डूबा था।  
  • KUR कैनेडी के अनुसार भीषण मलेरिया के इस नगर का पतन हुआ। 
  • यह नगर इस सभ्यता का सर्वाधिक जनसँख्या वाला नगर था जिसकी कुल आबादी लगभग 35 से 40  हज़ार थी। KNOW MORE
  • इसके अन्य उपनाम इस प्रकार है - 
  1. मृतकों का टीला 
  2. प्रेतों का नगर 
  3. सिंधु का बाग 
  4. स्तूप टीला 
  • हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो को जुड़वाँ राजधानी कहा गया है। 
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से यह नगर इस सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा नगर था।
  • पश्चिमी टीले से सभा भवन, पुरोहित आवास , महाविद्यालय तथा घर आदि के साक्ष्य मिले है 
  • प्रत्येक घर से कुंआ , स्नानागार , 3 से 4 कमरे , तथा दोकमंजिला घर प्राप्त हुए है।  
  • पश्चिमी टीले में अन्नागार , वृहत स्नानागार (जॉन मार्शल के अनुसार तत्कालीन विश्व का सबसे बड़ा आश्चर्य) प्राप्त हुआ है। 
  • सबसे बड़ी इमरती संरचना अन्नागार प्राप्त हुई है। 
  • पूर्वी टीले से प्राप्त कुछ विशेष साक्ष्य -
  1. 10 इंच की कांस्यमूर्ति प्रोटोस्टाइलट प्रजाति की। 
  2. 1200 मुहरे (सर्वाधिक) वर्गाकार प्राप्त हुई है।  
  3. सूती कपडा चाकू के साथ। 
  4. एक 10 मीटर चौड़ा राजपथ मार्ग पाया गया। 
  5. पक्की सड़को का एक मात्र स्थान पाया गया।  




 लोथल 



  •  यह नगर भारत के गुजरात में अहमदाबाद जिले में पाया गया है। 
  • यह भोगवा नदी के तट पर खंभात की खाड़ी के समीप पाया गया है। 
  • इसकी खोज SR राव ने सन 1954  की। 
  • इसे लघु हड़प्पा या लघु मोहनजोदड़ो भी कहते है। 
  • यहां से 20 समाधियां पायी गयी है। इसे मुर्दो का नगर भी कहा जाता है। 
  • 3 युग्मित (स्त्री + पुरुष) समाधियां पायी गयी है। जो की सती प्रथा का प्रतीक है।  
  • दोनो टीले एक ही प्राचीर से घिरे थे। ( सुरकोतड़ा में भी) 
  • रंगाई कुंड , आटा पीसने की चक्की , मनका बनाने के कारखाने आदि के साक्ष्य प्राप्त हुए है। 
  • अग्निकुंड के साक्ष्य प्राप्त हुए है।  
  • धान तथा बाजरा के साक्ष्य।
  • ममी का मॉडल प्राप्त हुआ है। KNOW MORE
  • गोरिल्ला व बारहसिंहा के छाप की मुहरे प्राप्त हुई है। 
  • दो मुँह वाले राक्षस छाप की मुहरे प्राप्त हुई जो की फारस से सम्बंधित है। 
  • गोड़ीवाड़ा बंदरगाह प्राप्त हुआ। 
  • हाथी दन्त का पैमाना प्राप्त हुआ है। 


Recent Post