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Sunday, June 3, 2018

भारतीय संविधान chapter - 2 / सरंचना के आधार पर सरकार

      सरंचना के आधार पर सरकार 

संरचना के आधार पर सरकार दो प्रकार की होती है।  

  1.  संसदीय व्यवस्था प्रणाली पर आधारित सरकार 
  2.  अध्यक्षीय व्यवस्था पर आधारित सरकार 




संसदीय व्यवस्था पर आधारित सरकार - 


  • राष्ट्रपति सैंविधानिक (नाममात्र) का प्रमुख होता है। वास्तविक सरकार मंत्रिमंडल के हाथ में होती है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होता है।  अर्थात संसदीय व्यवस्था प्रणाली में वास्तविक प्रमुख प्रधानमंत्री होता है।  
  • वास्तविक प्रमुख की सलाह पर ही नाममात्र का प्रमुख कार्य करता है।  
  • विधायिका के सदस्य ही कार्यपालिका के सदस्य होते है जिसके कारण विधायिका तथा कार्यपालिका में मधुर सम्बन्ध होते है।
  • कार्यपालिका का अतित्व लोकसभा में बहुमत पर आधारित होता है।  क्योकि लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल ही कार्यपालिका ( मंत्रीपरिषद् ) का गठन करती है। 
  • कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है।  
  • इस प्रकार की प्रणाली में सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत कार्य करता है। 
  • उदाहरणार्थ - भारत , ब्रिटेन आदि। 



 अध्यक्षीय व्यवस्था पर आधारित सरकार -

  • वास्तविक एवं सैंविधानिक प्रमुख दोनों ही राष्ट्रपति होता है।  अर्थात समस्त सैंविधानिक शक्तियां राष्ट्रपति के हाथ में होती है।  प्रधानमंत्री का पद नहीं होता है।  
  • विधायिका तथा कार्यपालिका में विलगाव होता है क्योकि विधायिका के सदस्य कार्यपालिका के सदस्य नहीं चुने जाते है। 
  • विधायिका के सदस्यों  (राष्ट्रपति को छोड़कर ) का सरकार के गठन के बाद महत्व नगण्य हो जाता है।  
  • कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती है।  
  • मंत्रिपरिषद के सदस्य स्वंत्रतापूर्वक कार्य कर सकते है। 
  • चेक एंड बैलेंस सिस्टम होता है।  
  • उदाहरणार्थ - संयुक्त राज्य अमेरिका , रूस आदि। 

     विश्लेषण 


संसदीय व्यवस्था का महत्व -

  • मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।  जिससे संसद में जनता  की भागीदारी बढ़ती है तथा प्रणाली में जनता के प्रति सम्मान बढ़ता है। 
  • निर्णय एक से अधिक लोगो द्वारा लिया जाता है।  जिसके कारण किसी एक व्यक्ति की तानाशाही नहीं होती है। 
  • राजनैतिक चेतना सदैव सक्रिय रहती है।  


अध्यक्षीय व्यवस्था का महत्व -

  • राजनैतिक स्थिरता रहती है जिसके कारण दीर्घकालिक प्रक्रिया बनाई एवं नीतियां बनायी जा सकती है।  
  • योग्यता के आधार पर मंत्रिपरिषद का निर्माण होता है।  
  • ये प्रणाली त्वरित निर्णय लेने में सक्षम होती है। 



 संसदीय व्यवस्था की समस्याएं -


  • कार्यपालिका में कभी भी बहुमत ख़त्म हो सकता है जिसके कारण सरकारे अस्थिर होती है। इस कारण वैश्विक समबन्ध कमजोर होते है। 
  • मंत्रिपरिषद की योग्यता कम होती है। 
  • निर्णय लेने में देरी होती है। 
  • वोट बैंक की राजनीति  होती है। 



अध्यक्षीय व्यवस्था की समस्याएं -


  • एक ही व्क्यक्ति प्रमुख होता है जिसके कारण तानाशाही प्रवत्ति बढ़ जाती है।  
  • विधायिका तथा कार्यपालिका में टकराव की सम्भावनाये अधिक होती है। 
  • बहुलवादी समाज के लिये यह प्रणाली उपयुक्त नहीं है। 




              भारत में सरकार -


  • भारत में  संसदीय प्रणाली पर आधारित सरकार है। भारतीय संविधान में राष्ट्रपति के पद की व्याख्या अनुच्छेद 52 तथा 53 में की गयी है। 
  • अनुच्छेद 52 - भारत का एक राष्ट्रपति होगा। 
  • अनुच्छेद 53 - संघ की समस्त सांविधानिक शक्तियां राष्ट्रपति में निहित होंगी जिसका उपयोग वह स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारी की सलाह पर करेगा। 
  • संघ के प्रत्येक कार्य राष्ट्रपति के नाम से किये जाते है। 
  • राष्ट्रपति देश की एकता , अखंडता और शक्ति का प्रतीक होता है। 
  • राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। 
  • इस प्रणाली में लोकसभा का गठन जनता द्वारा निर्वाचन से होता है। तथा बहुमत प्राप्त दल सरकार का गठन करता है।  जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होता है।  
  • प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद का गठन करता है।  अनुच्छेद 74 - राष्ट्रपति को उसके कार्यो में सहायता व सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा।  तथा राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही कार्य करेगा। 



कोई विधेयक ( सलाह) अधिनियम कैसे बनता है -

विधेयक को अधिनियम बनाने के लिए उस विधेयक को सर्वप्रथम किसी एक सदन(लोकसभा या राज्यसभा ) में प्रस्तावित किया जाता है। इसमें विधेयक को यदि बहुमत से पास कर दिया जाये तो उसे दूसरे सदन में मंजूरी के लिए भेजा जाता है।  यदि विधेयक दोनों सदनों में पास हो जाये तो उसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है। यदि राष्ट्रपति हस्ताक्षर कर देता है तो विधेयक अधिनियम बन जाता है।  राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति से अनुच्छेद 111 का वर्णन किया गया है। 
  
अनुच्छेद 111 -   


  1. राष्ट्रपति विधेयक ( सलाह ) को स्वीकृति दे सकता है। 
  2. स्वीकृति को रोक सकता है। 
  3. एक बार विधेयक को पुनर्विचार हेतु संसद को वापस भेज सकता है। 
 भारतीय संविधान  CHAPTER-1 


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Friday, June 1, 2018

भारतीय संविधान CHAPTER-1

 


                              
  संविधान क्या है -                                    

      भारतीय संविधान को जानने से पहले हम ये जानने का प्रयास करेंगे कि किसी देश में संविधान का क्या महत्व है, ये कैसे बनता है और कैसे कार्य करता है। 

  •  संविधान किसी देश के मूल सिद्धांतो का या स्थापित नजीरों का एक समुच्चय है जिसके माध्यम से कोई राज्य  या संगठन संचालित ( अधिशासित ) होता है।

  • संविधान प्रायः लिखित रूप में होता है जो किसी राष्ट्र या संगठन की परम् विधि ( कानून ) होता है । जिन कार्यो से इस विधि का उल्लंघन हो उसे असैंविधानिक घोषित किया जाता है । 

  • भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जबकि मोनाको का संविधान सबसे छोटा लिखित संविधान है ।


                   संविधान  के लिये आवश्यक शर्ते -

         कोई भी संविधान निम्नलिखित तीन बिंदुओं से मिलकर बनता है 

  1. राष्ट्र ( देश या राज्य ) - वह निश्चित भूभाग जिसपर जनसंख्या निवास करती हो तथा वहाँ एक सरकार होनी चाहिए और वह देश सम्प्रभुता संपन्न  होना चाहिए।
  2. सरकार - एक ऐसी संस्था जो उस राष्ट्र में विधि का निर्माण करे और उसे संचालित करे। सरकार के तीन भाग होते है - १. विधायिका   २. कार्यपालिका   ३. न्यायपालिका 
  3. व्यक्ति - व्यक्ति संविधान की तीसरी और सबसे प्रमुख शर्त है। संविधान किसी राष्ट्र में रहने वाले व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं राजनैतिक मान्यताओं और आपसी सामंजस्य को प्रदर्शित करने वाला होना चाहिए। अर्थात संविधान निर्माण में व्यक्ति का महत्वपूर्ण स्थान है जिसके संरक्षण एवं भागीदारी हेतु संविधान में दो मूल बातों को समायोजित किया गया है -  १. मूल अधिकार     २. मौलिक कर्त्तव्य  


  • सम्प्रभुता संपन्न देश क्या होता है - एक पूर्ण रूप से स्वतंत्र देश जहाँ की सरकार अपने देश के आंतरिक एवं बाह्य निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र हो तो ऐसा देश सम्प्रभुता संपन्न  (संप्रभु) देश कहलाता है ।


                    भारत में सरकार का स्वरूप - 


    विधायिका - भारतीय  संविधान में कानून बनाने वाली संस्था को विधायिका कहते है। इसके तीन भाग है- 
  1.  राष्ट्रपति - यह राष्ट्र का प्रमुख होता है।
  2.  राज्यसभा ( उच्च सदन ) - इसके सदस्यों की संख्या २५० है 
  3.  लोकसभा ( निम्न सदन ) - इसके सदस्यों की संख्या ५५२ है।

  • लोकसभा तथा राज्यसभा को मिलाकर संसद का निर्माण होता है। तथा इनके सदस्यों को सांसद कहा जाता है । सांसदो की बैठक संसद भवन में होती है जोकि दिल्ली में स्थित है ।


 कार्यपालिका - संसद में बनाये गये कानून को लागू करवाना और उसका           पालन करवाने के लिए कार्यपालिका  होती है। इसके दो भाग है - 
  1. राजनैतिक ( मंत्रिपरिषद ) - इसे मंत्रिमंडल भी कहते है ।
  2. प्रशासनिक ( नौकरशाह ) - इसके अंतर्गत सरकारी कर्मचारी  आते है जैसे - जिलाधिकारी, पुलिस  सेना, सीबीआई आदि।  


न्यायपालिका - न्यायपालिका में विधायिका तथा कार्यपालिका द्वारा संचालित नियमो व कानून के पुनरावलोकन  की शक्ति निहित होती है।  जिससे ये सामान्य व्यक्ति को न्याय प्रदान करती है। भारत  में तीन स्तर पर न्यायपालिका को स्थापित किया गया है - 
  1. सुप्रीम कोर्ट या सर्वोच्च न्यायलय  - देश के सभी न्यायलय इसके अधीनस्थ है।  यह दिल्ली में स्थित है।  
  2.  हाई कोर्ट या उच्च न्यायलय - ये सामान्यतः राज्य स्तर पर होते है। देश में इनकी संख्या २४ है।  
  3. लोअर कोर्ट  या निचली अदालते - ये जिला स्तर पर होती है।   
































  

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