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Saturday, January 12, 2019

# 2 - प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत –


विदेशी अभिलेख

  • विदेशों से प्राप्त अभिलेखों मे एशिया माइनर में बोगजकोई नामक स्थल से लगभग 1400 ई0 पू0 का संधिपत्र अभिलेख मिला है। जिसमें मित्र, वरिण, इंद्र, नासत्य नामक देवताओं के नाम उत्कीर्ण है।
  • मिश्र के तेलूअल – अमनों में मिट्टी की कुछ तख्तियाँ मिली है। जिन पर बेबीलोनिया के कुछ शासकों के नाम उत्कीर्ण हैं , जो ईरान व भारत के आर्य शासकों जैसे है।
  • पार्सिपोलिल एवं बेहिस्तून अभिलेखों से जानकारी मिलती है कि ईरानी सम्राट दारा प्रथम ने सिंधु नदी घाटी पर अधिकार कर लिया था।


मुद्रायें –
  • 206 ई0 पू0 से लेकर 300 ई0 तक के भारतीय इतिहास की जानकारी हमें मुख्य रूप से मुद्राओं की सहायता से ही प्राप्त हो पाता है।
  • सके पीर्व के सिक्कों पर लेख नहीं है और उन पर जो चिन्ह बने हैं उनकी ठीक ठीक जानकारी नही है।
  • ये सिक्के आहत सिक्के कहलाते है।
  • मुद्राओं का उपयोग दान-दक्षिणा क्रय – विक्रय तथा वेतन – मजदूरी भुगतान मे होता था।
  • शासकों की अनुमति से व्यापारिक संघो (श्रेणियों) ने भी अपने सिक्के चलाये थे।
  • सर्वाधिक मात्रा मे मुद्राए मौर्योत्तर माल की मिलती हैं। जो सीसा, पोटीन , ताँबा , कासे , चाँदी तथा सोने से बनी हैं।
  • कुषाण शासको द्वारा जारी स्वर्ण सिक्कों में जहाँ सर्वाधिक शुध्दता थी, वहीं गुप्तों ने सबसे अधिक मात्रा में स्वर्ण मुद्राएँ जारी की ।
  • धातु के टुकड़ों पर ठप्पा मारकर बनायी गयी बुध्दकालीन आहत मुद्राओं पर पेड़ , मछली , सांड़, हाथी , अर्ध्दचन्द्र आदि वस्तुओं की आकृति होती थी।
  • मुद्रओं से तत्कालीन आर्थिक दशा तथा सम्बन्धित राजाओं की साम्राज्य सीमा की भी जानकारी मिलती है।
  • कनिष्क के सिक्कों से उसका बौध्द धर्म का अनुयायी होना प्रमाणित होता है।
  • समुद्रगुप्त के कुछ सक्कों पर यूप बना है। जबकि कुछ पर अश्वमेध पराक्रम शब्द उत्कीर्ण है। जिसमे उसे वीणा बजाते हुए दिखाया गया है।
  • इण्डो-यूनानी तथा इणडो – सीथियन शासकों के इतिहास के प्रमुख स्त्रोत सिक्के है।
  • सातवाहन राजा शातकर्णी का एक मुद्रा पर जलपोत उत्कीर्ण होने से उसके द्वारा समुद्र विजय का अनुमान लगाया गया है।
  • चंद्रगुप्त द्वितीय की व्याघ्र शैली (चाँदी) की मुद्राओं से उसके द्वारा पश्चिम भारत के शकों पर विजय सूचित होती है।

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