प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत –
- पुरातात्विक स्त्रोत
- साहित्यिक स्त्रोत
- विदेशी यात्रियों के वर्णन
- पुरातात्विक स्त्रोत-
प्राचीन भारत़ीय इतिहास को जानने के लिये पुरातात्विक सामग्रियाँ
सर्वाधिक प्रमाणिक है। इसके अन्तर्गत निम्न बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाता है-
- अभिलेख
- मुद्रायें
- स्मारक एवं भवन
- मूर्तिकला
- चित्रकला
- अवशेष
अभिलेख-
- अभिलेख पाषाण शिलाओं , स्तम्भों , ताम्रपत्रों , दीवारों, मुद्राओं, तथा प्रतिमाओं पर उत्खनित है।
- अभिलेखों के अध्ययन को इपिग्राफी कहते है।
- सर्वाधिक प्राचीन पठनीय अभिलेख अशोक के हैं, जो प्राकृत भाषा में हैं।
- पूर्व हैदराबाद राज्य में स्थित मास्की एवं गुर्जरा (मध्य प्रदेश) से प्राप्त अभिलेखों में अशोक के नाम का स्पष्ट उल्लेख है।, उसे प्रायः देवताओं का प्रिय प्रियदर्शी राजा कहा गया है।
- अशोक के अधिकांश अभिलेख ब्राम्ही लिपि मे है जो कि बायें से दायें लिखी जाती थी।
- पश्चिमोत्तर भारत से प्राप्त उसके अभिलेख खरोष्ठी लिपि मे थे। जो कि दायें से बायें लिखी जाती थी।
- पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान से प्राप्त अशोक के शिलालेखों मे यूनानी एवं आर्मेइक लिपियों का प्रयोग हुआ है।
- अशोक के एभिलेखों को पढ़ने मे सर्वप्रथम जेम्स प्रिसेप को 1837 ई0 मे सफलता मिली ।
- सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख 2500 ई0पू0 के हड़प्पा कालीन है जो मुहरों पर भावचित्रार्मक लिपि मे अंकित हैं। जिनका प्रमाणिक पाठ अभी तक असंभव बना हुआ है।
- प्रथम श्रेणी के अभिलेखों में अधिकारों ओर जनता के लिए जारी किए गए सामाजिक , आर्थिक एवं प्रशासनिक राज्यादेशों एवं निर्णयों की सूचना रहती है- जैसे अशोक के अभिलेख
- द्वितीय श्रेणी के वे अनुष्ठानिक अभिलेख हैं जिन्हें बौध्द , जैन , वैष्णव, शैव, आदि सम्प्रदायों के मतानुयायियों ने स्तम्भों , प्रस्तर, फलकों मंदिरों एवं प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण कराया।
- तृतीय श्रेणी के वे अभिलेख है जिसमे राजाओं की विजय प्रशास्तियों का आख्यान तो है , लेकिन उनके दोषों का वर्णन नही है।
अभिलेख
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शासक एवं अभिलेख
की विशेषताएँ
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1
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हाथी गुम्फा अभिलेख
( तिथि रहित अभिलेख )
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कलिंग राज खारवेल
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2
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जूनागढ़ ( गिरनार
अभिलेख )
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रूद्रदामन (
सुदर्शन झील के बारे मे जानकारी )
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3
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नासिक अभिलेख
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गौतमी बलश्री तथा
सातवाहनों की उपलब्धियाँ
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4
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प्रयाग स्तम्भ
अभलेख
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समुद्रगुप्त (
इनकी दिग्विजयों की जानकारी )
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5
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ऐहोल अभिलेख
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पुलकेशिन द्वितीय
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6
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मन्दसौर अभिलेख
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मालवा नरेश
यशोवर्मन ( रेशम बुनकर की श्रेणियों की जानकारी )
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7
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ग्वालियर अभिलेख
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प्रतिहार नरेश भोज
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8
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भितरी एवं जूनागढ़
अभिलेख
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स्कन्दगुप्त (
हूणों पर विजय का विवरण )
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9
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देवपाड़ा अभिलेख
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बंगाल शासक
विजयसेन
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10
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बांसखेड़ा एवं मधुबन
अभिलेख
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हर्षवर्ध्दन की
उपलब्धियों पर प्रकाश
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11
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बालघाट एवं कार्ले
अभिलेख
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सातवाहनों की
उपलब्धियाँ
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12
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अयोध्या अभिलेख
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शुंगों की
उपलब्धियाँ
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13
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भरतुत अभिलेख
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सुंगनरेण शब्द
खुदे होने से शुंगों द्वारा निर्मित
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14
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एरण अभिलेख
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भानुगुप्त
सती-प्रथा का पहला लिखित साक्ष्य
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- गैर राजकीय अभिलेखों मे यवन राजदूत हेलियोडोरस का बेसनगर ( विदिशा ) से प्राप्त गरुड़ स्तम्भ लेख विशेष रूप से उल्लेखनीय है जिससे द्वितीय शताब्दी ई0 पू0 के मध्य भारत मे भागवत धर्म विकसित होने का प्रमाण मिलता है।
- भारतवर्ष शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख हाथीगुम्फा अभिलेख मे मिलता है।
- दुर्भिक्ष शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख सौहगौरा अभिलेख मे मिलता है।
- एरण ( मध्य प्रदेश ) से प्राप्त वराह भगवान पर हूणरार तोरमाण का लेख अंकित है।
- भूमि – अनुदान पत्र-
- ये प्राय:ताँबे की चादरों पर उत्कीर्ण हैं। इनमे राजाओ और सामन्तो द्वारा भिक्षुओं , ब्राम्हणों , मंदिरों , विहारों, जागीरदारों, और अधिकारियों को दिए गए गाँवों, भूमियों और राजस्व सम्बन्धी दानो का विवरण है।
- ये प्राक्रत , संस्कृत, तमिल एवं तेलुगु भाषाओं में लिखे गये है।
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